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इटली
 


पर आजकल 'फैसी(Fasci) और कारपोरेशनो का चेम्बर'कार्य करता है। इसकी सदस्य सख्या ८०० है। सरकार को आदेश जारी करने का अधिकार है जो बाद में चेम्बर के सामने पेश कर दिए जाते हैं। चेम्बर सिर्फ वैधानिक क़ानूनो, सामान्य ढंग के कानूनो और बजट, आदि स्वीकार करता है। अन्य प्रकार के सभी मामलों पर सरकार के प्रमुख मुसोलिनी की आज्ञा से ही चेम्बर विचार कर सकता है। शासन करनेवाली मुख्य संस्था 'फैसिस्ट महान् कौसिल' है। प्रत्येक वैधानिक प्रश्न, राज-उत्तराधिकार के प्रश्न तथा धर्म और राज्य के संबंधों के विषय में उपर्युक्त कोसिल ही निश्चय करती है। प्रत्येक व्यवसाय का एक कारपोरेशन है, जो अपने प्रतिनिधि कारपोरेशनो की राष्ट्रीय-कौसिल में भेजता है। राष्ट्रीय कौसिल आर्थिक क़ानून बना सकती है। इनमें मज़दूरो तथा मालिको दोनो का प्रतिनिधित्व होता है।

सन् १९३८ में जर्मनी के आग्रह से इटली ने भी यहूदियो के विरुद्ध क़ानून बनाये। परन्तु वे इतने सख्त नही हैं जितने कि जर्मनी में हैं। मुसोलिनी ने आगे लिखे देशो को हड़प कर इटालियन-साम्राज्य की स्थापना गर्वपूर्वक की थी--(१) इटालियन पूर्वी अफ्रीका--इसमे अबीसीनिया, इरीट्रिया और इटालियन शुमालीलैण्ड शामिल है। इसका कुल क्षेत्रफल ६,६०,००० वर्गमील और जनसख्या १,५०,००,००० है। (२) इटालियन उत्तरी अफ्रीका (लीबिया)--इसका क्षेत्रफल ६,८५,००० वर्गमील और जनसख्या ७,००,००० है। लीबिया की भूमि अधिकाश मरुस्थल है। (३) अलबानिया।

लेकिन अब इटली का साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो रहा है। पूर्वी अफ्रीका के अबीसीनिया और इरीट्रिया पर ब्रिटेन की फौजो का अधिकार है। लीबिया में दो वर्ष तक घनघोर युद्ध के बाद, जर्मन-सेनाओ की सहायता से, इटली की विजय हो पाई है। इन देशो की भाँति मुसोलिनी ने १९३९ ई० मे अलबानिया को हड़पा था, किन्तु उस पर अब यूनान का अघिकार है। यूनान यद्यपि जर्मनी द्वारा पराजित हो चुका है।

इटालियन सेना ५०,००,००० है। वह आधुनिक युद्धास्त्रो से सज्जित और युद्ध-कला मे निपुण है। वायुयान २००० है।