इब्न सऊद वहाबी-सम्प्रदाय का प्रमुख है। यह बड़ा कट्टरपंथी समुदाय है। इसलिये वह बड़ी सतर्कता से अपने राज्य में आधुनिकता का प्रसार कर रहा है। सेनाऍ आधुनिक ढंग की बना दी गई हैं। इसका लक्ष्य अखिल-अरब का संगठन करके स्वयं उसका ख़लीफा बनना है। ब्रिटेन के साथ उसका मित्रता का संबंध है। इसका पूरा नाम अब्दुल अज़ीज़ इब्न अब्दुरर्हमान अल्फैजलुस्सऊद है। इब्न सऊद क़ौम और कबीले का क़ायल नहीं, वह राष्ट्रीयता का पोषक है।
इराक--यह अरब राज्य है। दूसरे अनेक देशों की तरह अँगरेज़ो ने इसका नाम मेसोपोटामिया रख दिया है। इसका क्षेत्रफल १,१६,००० वर्गमील तथा जनसंख्या ३५,००,००० है। इसकी राजधानी बग़दाद है। विगत युद्ध से पूर्व इराक़ तुर्क-सल्तनत का एक सूबा था, और उसके बाद से इराक़ ब्रिटिश संरक्षण में एक शासनादेश द्वारा शासित राज्य (Mandatory State) है।
मक्का के बादशाह हुसैन के पुत्र अमीर फैजल को सन् १९२१ में इराक़ का बादशाह बनाया गया। सन् १९२४ में विधान-निर्मात्री-परिषद् ने नया शासन-विधान बनाया। इराक़ मे मर्यादित एकतंत्र शासन है। उत्तरदायी शासन तथा एक पार्लमेंट है। बागशाह फैज़ल का सन् १९३० में देहान्त हो गया। उसका पुत्र गाज़ी गद्दी पर बैठा। १४ दिसम्बर १९२७ को शासनादेश (Mandate) समाप्त होगया, तब ब्रिटेन ने इराक़ की पूर्ण स्वाधीनता स्वीकार कर ली। यह राष्ट्रसंघ का सदस्य भी हो गया। यद्यपि इराक़ स्वतंत्र देश है, तथापि ब्रिटेन का उस पर प्रभाव है। इराक़ की पुलिस मे अँगरेज अधिकारी हैं। एक अँगरेजी फौजी मिशन भी वहाँ है तथा इराक में कई स्थानों पर शाही हवाई सेना के अड्डे भी है। यहाँ मोसल और खानाक़िन में तेल के कई कुऍ हैं। इन पर डचो तथा अँगरेज़ो का अधिकार है। ४ अप्रेल १९३९ को बादशाह ग़ाज़ी का देहान्त हो गया। इसके बाद बादशाह फैज़ल द्वितीय (जो २ मई १९३५ को पैदा हुआ था) गद्दी का उत्तराधिकारी घोषित किया गया। वर्त्तमान युद्ध मे इराक़ ब्रिटेन के पक्ष में है।
जब यूनान पर नाज़ियों का अधिकार हो गया तब मव्य-पूर्व के लिए खतरा बढ गया। विशेषतः मुस्लिम राष्ट्रों की स्वतंत्रता खतरे में पड़ गई।