हैं। हरीपुरा तथा फैजपुर अधिवेशनों के समय बनाई गई समितियो में समाजवादी नेता श्री जयप्रकाश नारायण, आचार्य नरेन्द्रदेव तथा श्री अच्युत पटवर्धन भी संयुक्त किये गये थे। परन्तु त्रिपुरी के संधर्ष के बाद कार्य समिति में सब गान्धीवादी या गान्धीजी के भक्तों को ही लिया जाता है। रामगढ-कांग्रेस(१९४०) के समय की बनी कार्य-समिति में, जो अब तक है, निम्नलिखित सदस्य हैं--
(१)मौलाना अबुल कलाम आज़द, (अध्यक्ष), (२)सरदार वल्लभभाई पटेल, (३)प० जवाहरलाल नेहरू, (४)डा० राजेन्द्रप्रसाद, (५)आचार्य कृपालानी, (६)श्रीमती सरोजिनी नायडु, (७)सेठ जमनालाल बजाज, (जनवरी १९४२ में जिनके स्वर्गवासी होजाने से, उनके स्थान पर, श्री जयरामदास दौलतराम को नियुक्त किया गया है), (८)श्री राजगोपालाचर्य ('पाकिस्तान'-प्रश्न पर कांग्रेस से मतभेद होजाने के कारण आपने, जुलाई १९४२ में, अपने स्थान से त्यागपत्र दे दिया।), (९)श्री भूलाभाई देसाई, (१०)ख़ान अब्दुल गफ़्फारखॉ, (जिनहोने रचनात्मक कार्य करने के लिये त्यागपत्र दे दिया है।) (११)श्री शंकरराव देव, (१२)डा० प्रफुल्लचन्द्र घोप, (१३)श्री आसफअली, (१४)डा० सैयद महमूद। (१५)प० गोविन्दवल्लभ पन्त। (१६)डा० पट्टाभि सीतारामय्या।
कांग्रेस-मंत्रि-मण्डल--जुलाई सन् १९३७ से नवम्बर १९३९ तक भारत के ८ प्रान्तो--बम्बई, मदरास, संयुक्त-प्रान्त, मध्यप्रान्त, बिहार, उड़ीसा, सीमाप्रान्त तथा आसाम---में कांग्रेस-दल की सरकारो ने प्रान्तो का शासन-प्रबंध किया।
कांग्रेस-समाजवादी-दल---मई १९३३ में पटना में हुई अखिल-भारतीय कांग्रेस कमिटी के अधिवेशन मे सत्याग्रह आन्दोलन के स्थगित करने का प्रस्ताव स्वीकार किया गया। इसी अवसर पर सर्वप्रथम कांग्रेस समाजवादी सम्मेलन भी, काशी विद्यापीठ के आचार्य श्री नरेन्द्रदेव की अध्यक्षता मे, हुआ। श्री जयप्रकाश नारायण संगठन-मंत्री नियुक्त किये गये। ७-८ वर्षों मे इस आन्दोलन ने राष्ट्रीय आन्दोलन पर बड़ा गहरा प्रभाव डाला है। आज यह दल कांग्रेस के अन्तर्गत अन्य दलो से अधिक सुसंगठित है। कांग्रेस