इनके कुछ अनुयायियो को दल से, अलग कर दिया। इस संयुक्त मोर्चे का प्रयोजन यह था कि मज़दूर, लिबरल, कंज़रवेटिव तथा कम्युनिस्ट आदि संगठित होकर काम करे। मज़दूर-दल इसके विरूद्ध था। इससे पूर्व केवल कम्युनिस्टों के साथ संयुक्त मोर्चा बनाने की कोशिश आपने की थी, जिसे मज़दूर दल ने नहीं स्वीकार किया। क्रिप्स समाजवादी विचार रखते हैं, इसलिए युद्ध-काल में ब्रिटिश मंत्रि-मराडल ने उन्हें राजदूत बनाकर रूस भेजा। उन्होंने अपने इस पद से सन् १९४१ के दिसम्बर मास में त्यागपत्र दे दिया। इस समय वह ब्रिटिश युद्ध-मंत्रि-मण्डल के सदस्य हैं। आप ता० २२ मार्च १९४२ को अपने प्रस्ताव लेकर भारत आये, किन्तु आपके प्रस्तावो को सभी दलो ने अस्वीकार कर दिया।
क्रिप्स के प्रस्ताव--ब्रिटीश पार्लमेंट में, ११ मार्च १९४२ को, प्रधान मंत्री मि० चर्चिल ने, भारत की समस्या के विषय में, यह घोषणा की कि, युद्ध-मंत्रि-मंडल ने भारत की वैधानिक-समस्या के हल करने के लिए एक योजना तैयार की है, जो अन्तिम और पूर्ण हैं। परन्तु अभी उसे प्रकाशित नहीं किया जायगा। हाउस आफ् कामन्स के नेता तथा युद्ध-मंत्रि-मण्डल के नवीन सदस्य सर स्टैफर्ड क्रिप्स शीघ्र ही भारत जायॅगे और, भारतीय नेतोओं के समक्ष योजना को प्रस्तुत कर, उनकी सम्मति प्राप्त करेंगे। जब भारतीय लोकमत के नेता उसे स्वीकार कर लेंगे, तब पार्लमेंट उस योजना को अपनी ओर से, घोषण के रूप में, प्रकाशित करेगी।
इस निशचय के अनुसार सर स्टैफर्ड क्रिप्स, अपने स्टाफ के साथ, हवाई जहाज द्वारा, ता० २२ मार्च १९४२ को, भारत में आ गये। ता० २३ मार्च १९४२ से उन्होंने वायसराय, उनकी कौंसिल के सदस्यों, भारतीय राजनीतिक दलो के नेताओं तथा राजनीतिज्ञों से मिलना--भेंट करना आरम्भ कर दिया। कांग्रेस की ओर से राष्ट्रपति मौलाना आज़ाद, हिन्दु-महासभा की ओर से वीर सावरकर, मुस्लिम लीग की ओर से श्री मुहम्मदअली जिन्ना तथा अन्य अनेक पक्षों के नेता क्रिप्स महोदय से मिले।
३० मार्च १९४२ को सर स्टैफर्ड क्रिप्स ने युद्ध-मंत्रि-मणडल के प्रस्ताव प्रकाशित कर दिये। प्रस्ताव इस प्रकार हैं :-