पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/१२४

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.-1000 तब बोल्या निजु टूत गुसाई। प्रथम राज यह पहुंच्यो जाई ॥ कहे सकल तुमरे व्योहारा। तब में पूरी कुंवर की सारा ॥ राजा टूत साथि करि लीना। तब ही जाय कुंवर मे चीना॥ कुंवर बंधे देषे नागफांसी। परम दुषी अति चिंत उदासी॥ . नेन नीर गरि हरि बळु लाई। अंन पान कोई नहि देई॥ दोला। सुनिके कृष्ण अति थस्ले कुंवर दुषी निजु जानि। कहो ण्य सों जायके देल कुंवर को प्रानि॥ - चोपई। चल्यो टूत राजा पे जाई। कले बात नृप.सों समझाई। ले मिलि कुंवर को सनमाना। नातर माचे घमसाना ॥ . सुनी बात नृप उठो रिसाई। जाळु टूत क्यों करो डिठाई ॥ मारों कहा टूत सुनि बाता। कहो जाय जिय की कुसलातां ॥ दिन अनेक अंत की पाई। उन की मृत्यु इहां ले बाई ॥ दोला। प्रात काल उठि नृप कहे कहा करो तुम गर। प्राय मिलो कछु देयके नातर उगरों मार॥ चौपई। फिरिके टूत कृष्ण पे अावा। करि जुलार पुनि सीस नवावा ॥ कृष्ण देव चितयो मन माहीं। चतुर टूत बोल्यो कछु नाहीं॥ कही कहा तुम को निजु राई। कहो टूत मो सों समझाई। सुनो बात जादों पति राई। समझत नाही असुर अन्याई॥