पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/१२७

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॥ १॥ बलुत जुद्ध स कीन्ह में सो बर पूस्त कीन ॥ चौपई। इंद्रादिक सब कोतिक आये। जे जे करत सकल सब धाये ॥ उमउि अकास को गये पलाये। बानासुर माया करि धाये॥ बरषे अागि असुर अन्याई। तब हिं सुदरसन दिया पठाई॥ तब हि चक्र बानासुर घेरा। बीच हि असुर फिरे चहुं फेरा ॥ काटी बांह सकल वे राषी। बानासुर भागे सिव साषी॥ महादेव पे जाय पुकाले। मेरा संकठ तुम निवारो॥ तब सिव संकट बिधा निवारो। अोणतपुर में प्राय पधारी ॥