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हिन्दी हिन्दूई मुन्तखब सिंहासन बत्तीसी। . सत्यावती पुतली बोला। एक दिन राजा बीर बिक्रमा जीत सभा में इंद्र सम गंधर्व मधुर मधुर सुरों से गा रहे थे पातुर नृत्य कर म कहीं भाट खडे ठुए जस बरनन कर ले थे किसी त पाठ कर रहे थे किसी तरफ़ मल्ल आपस में युद्ध किसी तरफ चीते कुत्ते सियागोश लन में भी। थे और जितनी तैयारी राजाओं की चालिये सब थी। एक पंडित चतुर और बीर बैठा था उन्ल में राजा ई था और सब सामान इंद्र के अखाडे का सा था। अपने चित में विचार कर पंडितों से कहा कि तुम सुनों कि स्वर्ग में राजा इंद्र जो ले सो मर्त्यलोक का सः हे कहो कि पाताल का राजा कोन है और किस : है। तब उन्च में से एक पंडित बोला कि महाराज । पा