पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

॥५॥ तुझे हूँ। तब बालन ने कहा कि पहले अपने घ से कटूं। यह कहकर ब्राह्मन अपने घर को खड़ा रहा। वह घर में जाकर अपनी स्त्री श्री पुत्र से कहने लगा कि उन चारों लयलों का यह ब्योरे से उस की बालानी बोली कि स्वामी। तुम व लक्षमी देले और खियाल मन से उठा दो क्योंकि हैं सहाय और लक्षमी से होते हैं सब उपाय धर्म शा यह सब लक्षमी से होता है इस से तुम और तरफ़ जाकर लक्षमी ले प्रायो। फिर उस का पुत्र बोला कि लक्षमी किस काम: मान न हो और जो सामान लो तो राजा कहावे के निवावे सरनजाम हो तो दुर्जन उरें और संसार में लक्षमी तुई और जग में शोभा न पाई तो उस पुरु निर्फल दे तुम वह लपल लो जो संसार में शोभा इतने में उस के बेटे की बनू बोली कि तुम वह ल भूषन दे कि गल्ले के पहनने से स्त्री अपसरा मत्र भी पल्ले तो अति सुन्दरी दिखाई दे और बिपत ।: बलुत सा धन ले और जितना मागोगे उतना उस से । तना बिलायोगे पुरुष हमारा बावला और सास से ससुर तुम समानी हो और तुम से में कहती ह श्रानो जो में ने तुम से कहा है उस से तुम सब कुछ यह सुनकर ब्रालान बोला कि तुम तीनों बौराये।