पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/७०

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॥५४॥ काम बासना सो पोषी उन मानिये। बिधवा को गर्भ ता की बात चली ठोर ठोर दुष्ट शिर मोस्न की भई मन भाई हैं। चलत चलत बामदेव जू के कान परी करि निरधार प्रभु प्राय अपनाई है। भयो जू प्रगट बाल नाम नामदेव धयो कयो मन भायो सब संपति लुटाई है। दिन दिन बन्यो कळू ओरे रंग चड्यो भक्ति भाव अंग मन्यो कन्यो रूप सुषदाई है। खेलत खिलोना प्रीति रीति सब सेवा ही की पट पलिावे पुनि भोग को लगावही । घंटा ले बजावे नीके ध्यान मन लावे त्यों त्यों अति सुष पावे नेन नीर भरि श्रावही। बार बार कहे नामदेव बामदेव जू सों देवो मोलि सेवा माझ अति ही सुनावही। जाउं एक गांव फिरि अाउं दिन तीन मध्य दूध को पिवावो मति पीवो मोहि भावकी। कोन वह बेर जिहिं बेर दिन फेरि लोय फेर फेर कहे वहे बेर नही पाईये। आई वह बेर ले कम ही मालिं रे टूध रायो जुग सेर मन नीके के बनाईये। चौपनि के टेर लागी मिपट प्रोसेर . द्रग प्रायो नीर घेरि जिन गरे चूट जाइये। माता कलि टेरि की बड़ी ते श्रावे अब करो मति बेर अजू चित दे श्रौटाये। चल्यो प्रभु पास ले कटोरा छबि रास ता मे दूध सो सुबास मध्य भित्री ले मिलाई है। लिय में ठुलास निज असता को त्रास रे पे करे जो पे दास मोहि महो सुषदाई है। देष्यो मुटु हास कोटि चांदिनी को भास कियो भाव को प्रकास मति अति सरसाई है। प्यायवे की पास करि प्रोट का भयो स्वास देषिके निरास कन्यो पिवो जू अधाईये। ऐसी दिन बीते दोय सपी लिये बात गोप रस्यो निसि सोय ऐ पे नीद नही प्रावही। भयो जू सवार फिरि वैसे ही सुधारि लियो रियो कियो गाडो जाय धयो