पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/९२

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भक्त माल। . . पीपा। गूजरी को धन दियो पियो दही संतनि ने। चौपाई। एक दिवस पीपा के द्वारे। बलुत भक्त बेठे मति सारे॥ गूजरि एक दही ले आई। पीपा स्वामी लई बुलाई ॥ कछु रे बहिनि दही को मोला। हों नहिं मेटों तुमरो बोला ॥ तब तिहिं कही टुगानी तेरा। इतनो मोल को मथना मेरा ॥ पीपा बोले कही भले री। अाजु कि भेंट जो श्रावे तेरी ॥ अादर करि गूजरि बैठारी। पीवत भयो यही सुख भारी ॥ तब हि एक बनिजारो श्रायो। तिन पीपा को ट्रव्य चढायो। सात मोलर अरु वै परकाला। कछु पक मोती पुरधा घाला ॥ खांउ चिरोंजी और छुहारी। केसरि लोंग कपूर सुपारी॥ इतनी बस्तु धरी सिर नाई। अब में घर कर जाउं गुसांई। गो बनियां जब अाशा दोन्ही। स्वामी सोंज इकट्ठी कीन्ही ॥