पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/१२१

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५ नारद(उप), ६ कपिल ,७ मानव,८ उशनस, ९ वरुण, १० काली, ११ वासिषठ लिंग, १२ माहेश्वर, १३ सांब, १४ सौर १५ पाराशर, १६ शिव(धर्म), १७ मारीच, १८ भागवत (भार्गव)। कई अन्थों में ब्रह्माणडापवुराण १९ वा उपपुराण माना गया है। अद्वारह राज्य विभाग राज्य के १८ मुखय विभाग होते थे। इनका वर्गीकरण तीन प्रकार से किया है। मोलस्वर्थ और क्यणडी के आधार पर निम्नलिखित नाम दिये जाते है। (१) उषटर (२) कबूतर (३) जनान (४) जबाहिर (५) जमादार (६) तालीम (७) तोप (८) भट्टी (९) दफ्तर (१०) श्बारूद (११) दीवान (१२) नगाडा (१३) फील (१४) फर्राश (१५) वन्दी (१६) मोदी (१७) शिकार (१८) जिक्र। दुसरा वर्गीकरण तोप, फील, उषटर, फर्राश, रथ जमादार, जवाहिर, जग्यत नगाडा, वारूद, वैद्य, लक्कड, इमारत, मुदवक, कुनवीन, खासगत, तथा थटटीसेसर। तीसरा इस भाॅति है-खजाना,दफ्तर, जमादार, फील, जरायत, अम्बर, फर्राश, मुदवक,नगाडा,शरवत, बकारी, शिकार, तालीम, वारूद, बकरे, तोप, तराफ।इनमें से कुछ शब्दों क अर्थ स्पषट नही होते। उनका अर्थ नीचे दिया जाता है। उषट= ऊट, फील = हाथी, मुद्वक=रसोई घर, शरबत= अर्क, औषधि़। जगयत=अनाजकी कोठी, फर्राश= खेमा तम्बु इत्यादि। मोदी=युद्ध स्म्बन्धी वस्तु विक्रेता। आबकारी=पानी। अम्बर=अनाज, पान, सुगन्धि।महाराज शिवाजी के राज्याभिषेक के अनन्तर राज्य व्यवस्था के लिये जो आठारह विभाग खेले गये थे उनके विषय में क्रणाजी संत केलुसकर इस भाॅति उल्लेख करते है-१ गजशाला, २ मल्लडशाला, ३ धानय संग्रह (अम्बर खाना) ४ भेरी दुन्दुभी ५ यन्त्रशाला ६ वैधय्शाला ७ शिविरशाला ८ आखेट शाला ९ पानीयशाला १० उषट शाला ११ रसशाला १२ पाकशाला १३ शास्त्रशाला १४ ताम्बुलशाला १५ रथशाला१६ लेखनशाला १७ नाटकशाला और १८ जिस खाना। एेसा अनुमान किया जाता हे कि समय समय पर यह मुहकमें बदले रहते थे। पेशबआके हाथ में राज्यसूत्र आनेपर भी अठारह मुहकमे थे पेशवाके समय के अठारह मुहकमो का त्योरा नीचे दिया जाता है। १ तोपकानप-इस्मेँ गोला, बारूद, खलासी, रखवाले, गाडी,बैल इत्यादि अनेक युद के सामान रहते है। इसके अधिकरी (१) स्क्काराम पंत पनशे (२) गणपतराव विशनाथ पनशे (३) माधवराव कराण पानशे (४) जयवन्तराव पानशे थे। २ फीलना-इसमें १०० हाथी थे । अधिकारी-(१) गवन्त परशजी, (२) मुनीम रामचन्द्र राव। 3 उ इसमें करीब १००० ऊट थे। अधिकारी- गणपत राव मोरेश्वर। ४ शिकेखाना-इसका अधिकारी सदाशिव पन्त था। ५ फरशिखाना- इसमें तम्बु,शामियाने, डेरे तथा कनान । राघोपंत आंबीबर। ६ कोठी-इसके अधिकारी नरोशिवरामखाजगीवाले थे। ७ लकड्खाना " " " " " ८ इमारत " " " " " ९ बाग " " " " " १० घास " " " " " ११ वहीत कोठी " " " " " १२ रथखाना " " " " " १३ पूना कस्बा- यह उपहोक्त विभागमें शामिल था। किन्तु इसका खर्चा इन्हीँमें शामिल था या नहीं इसका ठोक ठीक पता नहीं। १४ थटटी- नाराय्ण रामच्द्र पूना सूबाके अधिकारीमें था। १५ पोते तथा जमादारखाना-अधिकारी शामराव क्रण पोतनवीस थे। १६ जिन्सखाना-तथा वैधयशाला-श्यामराव बाबूराव करमरकरके आधीन था। १७ पुस्तकशाला- गोविन्द पंत आपटे। १८ खानग- नरो शिवराम खासगीवाले। (इतिहास संग्रह पुस्तक १ली, अंक १२ वाँ जुलाक्म तापी नदी के दक्षीण की ओर के गयकवाड के अटाइस परगनो को दिया गया इनको सूरत अटाइस भी कहते थे। १७८० में फतहसिंह गयकवाडने यह प्रदेश अंग्रेजो के हवाले कर दिया।







अद्वाविशी १८ वीं शदाब्दी के उत्तरर्द में यह नाम तापी नदी के दक्षिण की और के गयकवाड के अडारह परगनो को दिया गया। इनको सूरत अडाईसी भी कहते है। १७८० में फतहसिंह गयकवाडने यह प्रदेश अंग्रेजों के हवाले कर दिया।