पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/१४९

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मारगु विधुत्क्रराके सहश ही होगा जो हम लोगॉको सिदान्तरुम विदित है | विधुदरवी भवन थ्रयवा प्रूयकरगा-(ionisation) हवा श्र्थवा चायुरूप पदार्थ तथा क्ष किररओके योगसे धन तथा ऋए विदयुदगुमे विदयुदएवी भवन होता है| श्रथवा किसी एक पदार्थ के श्रति परिमाए विदयुत्काके विसर्जनसे भो यह किया होती है| जल प्रपातके श्राघातसे भी हवामें विदयुदएवीभवन होता है| इसीके कराए से जल प्रपातकी तलको हवा विश्रेलषित रहती है। गाढीकरए condensation - यदि क्ष-किरोके योगसे हवाका पृथक्करए हुश्रा हो इसी भान्ति पृथक की हुई हवामें यदि विघुन्मार्ग रस्त्र कर विभाग किया जाय तो ऋए-विभाग एक विघुन्मारर्ग श्रोर और धन-विभाग दूसरे विघुन्मार्गकी श्रोर होगा। यदि पावमे भाप दिखाई देने लगेगी। इससे यह सिध्द होता है कि गाढोकरएके लिए धन-विभाग की अपेक्षा ऋए-विभाग ही अधिक उपयोगी है। यह तो हश्रा पदार्थ-परमारूस्त्रोके धन तथा ऋए-विभागोके चिषयमे। किन्तु इसीके अनुसार जब ऋए-विभाग मध्यमवर्तो होता है तो उसके निकाट गाढीकरए होने लगता है। अब प्रश्न यह है यदि अति परमागु विधुत्कए हो तो इसी प्रकार की किया होने लगेगी या नही। इस प्रश्न पर सी टी आर बुइलसन नामक शास्त्रक्क्का मत है कि श्रति परमाणु विधुत्कए होने पर भी हवा के प्रसरए होनेके पूर्व ही परमाणुसे सयोग पाकर ऋए-विभाग बन जाता है। जिस वायुमें पूएऍ संपृत्कताकी चोउगुनी श्रार्द्र्ता रहती है। उस आयु मै शुष्क्वायुके विधुदणूके श्राकारके श्रणु विघु स्करोके चारो और जमा होने लगते है।फिर इससे साम्यस्थिति हो जाती है।किन्तु यदि हवा मे आर्द्र्ता अधिक हुइ तो परिस्थितिमें फिर उलट फेर लगा रेह्ता है। अन्त मे आद्र्ताके आगु बिन्दु स्वरुप होकर दिखलाइ पडते है। बल्कि इस आवस्था मे यदि प्रसराके पक्षात प्रसरएक्षेत्र मे विधुत्कए सहसा प्रवेश करे और चोगुनी संपृत्कतासे आधिक आद्रता रहे तो फिर गाढीकरएके लिये येही विघुद्गु नहीं रहते बल्कि ज्यों के त्यों वे मूलविन्दु नहीं रह जाते। किन्तु यदि नीललोहित किरेओके प्रकाश में प्रयोग किया जाय तो इन विधत्कओंके प्रसरग होनेके बहुत पुर्व ही विधुद्गु तैयार हो जाते है। विधुत्कए विययक निर्मय-श्राज तक जितने प्रयोग हुए है उनसे विधुत्कएके विधुत्मारका और पिराड्का मुल्य इकटा ही निकाला गया है,विधुत्मारका और पिराडका श्रलग मुल्य नहिं निकाला जा सका था। मुख्य कठिनाई इसमें ही निकाला गया है, विधुत्मार तथा पिरडका श्रलग श्रलग मुल्य नहीं निकाला जा सका था।