पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/१५०

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अति परमाणु विद्युत्कण ज्ञानकोष ( अ ) १३६ अति परमाणु विद्युत्करण माणु विद्युत्कणके सदृश ही होगा जो हम लोगोंको । ८ विद्युत्कण विषयक निर्णय-आज तक जितने सिद्धान्तरूपमें विदित है। प्रयोग हुए हैं उनसे विद्युत्कणके विद्युत्भारका और ६ विद्युदण्वी भवन अथवा पृथक्करण-( Ionisa पिण्डका मूल्य ( Value) इकट्ठा ही निकाला tion) हवा अथवा वायुरूप पदार्थ तथा क्ष-किर- गया है, विद्युत्भार तथा पिण्डका अलग अलग णोंके योगसे धन तथा ऋण विद्युदणमें विद्यु मूल्य नहीं निकाला जा सका था। मुख्य कठिनाई दण्वी भवन होता है। अथवा किसी एक पदार्थ इसमें यह थी कि अभी तक प्रयोगमै बहुसंख्यक के अति-परिमाण विद्युत्कणोंके विसर्जनसे भी विद्युत्कण लिया जाता था जिससे केवल उनका यह क्रिया होती है। जल प्रपातके आघातसे भी | एकत्रित पिण्ड ही पता लगता था । उदाहरणःहवामें विद्युदण्वीभवन होता है। इसीके कारण यदि 'स' इन विद्युत्कणोंकी संख्या और 'प' पिण्ड से जल प्रपातकी तलको हवा विश्लेषित रहती है। मानले तो 'स; प.' सम्पूर्ण विद्युत्कणोके पिण्डका ___७ गाढ़ीकरण Condensation-यदि क्ष-किर मूल्य मालूम हो जाता था किन्तु 'स' तथा व' के गोके योगसे हवाका पृथक्करण हुआ हो इसी । भिन्न भिन्न मूल्यका पता न लगता था। इसी भाँति पृथक की हुई हवामें यदि विद्यन्मार्ग रख भाँति यदि 'ग' उनकी गति मान ली जाय तो कर विभाग किया जाय तो ऋण-विभाग एक | उनकी एकत्रित गति ( पxग ) सूत्रसे मालूम विद्यन्मार्गकी ओर और धन-विभाग दूसरे विद्यु हो जावेगी। किन्तु जब 'प' तथा 'व' का भित्र मार्गकी ओर होगा। यदि पात्रमें की हवाकी भिन्न मूल्य नहीं पता लगतातो यह प्रश्न उपस्थित विरलताका पहली हवासे १२५ प्रमाण हो तो होता हैं कि 'स' और 'प' तथा 'ग' और 'प' का आधे पात्रमें भाप दिखाई देने लगेगी। इससे यह भिन्न भिन्न मूल्य किस प्रकार निकाला जाय । सिद्ध होता है कि गाढ़ीकरण के लिये धन-विभाग दूसरी बात यह है कि ये विद्युत्कण यदि किसी की अपेक्षा ऋण-विभाग ही अधिक उपयोगी है। खाली पात्रमें छोड़ा जाये और वह पात्र यदि यह तो हुआ पदार्थ-परमाणुओंके धन तथा ऋण- विद्युन्मापकसे जोड़ा जाय तो यह गणना कठिन विभागोंके विषयमै। किन्तु इसीके अनुसार जब नहीं है कि सम्पूर्ण विद्यन्मान कितना होगा, ऋण-विभाग मध्यमवतों होता है तो उसके निकट अर्थात् (सxव ) का मूल्य पता लग जावेगा गाढ़ीकरण होने लगता है। अब प्रश्न यह है कि किन्तु 'स' तथा 'व' का भिन्न भिन्न मूल्य निकालने यदि अति परमाणु विद्युत्कण हो तो इसी प्रकार | का प्रश्न रही जाता है। की क्रिया होने लगेगी या नहीं। इस प्रश्न पर सxप, सxव पग, ग व, इत्यादि भिन्न सी०टी० आर० वुइलसन नामक शास्त्रज्ञका मत भिन्न सूत्रोंका पता तो लग जाता है, किन्तु पिण्ड है कि अति परमाणु विद्यत्कण होने पर भी हवाके का तथा विद्यत्भारका स्वतन्त्र मूल्य पता लगानेके प्रसरण होनेके पूर्व ही परमाणुसे संयोग पाकर लिये यह जानना चाहिये कि 'स' अर्थात् संख्या ऋण-विभाग बन जाता है। जिस वायुमें पूर्ण का मूल्य क्या होगा। इसके मूल्यका ठोक ठीक संपृक्तताकी चौगनी आर्द्रता रहती है। उस वायु पता लगने पर बहुत कुछ सरलता हो सकती है। में शुष्कवायुके विद्यदणुके. श्राकारके अणु विद्यः जे. जे० थामसनने विलसन, अटकिन तथा सर कणोंके चारों ओर जमा होने लगते हैं। फिर जाज स्टोक्स इत्यादि विज्ञान वेत्ताओंके सिद्धान्त इससे साम्यस्थिति ( Equilibrium ) हो जाती के आधार पर इस संख्याकी गणना करनेका भिन्न है। किन्तु यदि हवामें आर्द्रता अधिक हुई तो भिन्न रीतिसे प्रयत्न किया था। परिस्थितिमें फिर उलट फेर लगा रहता है। अन्त (अ) अटकिनका प्रयोग-घनमध्यबिन्दुके में आर्द्रताके अणु विन्दु-स्वरूप होकर दिखलाई विना कुहरेका विन्दु तयार नहीं होता। जितने पड़ते हैं। बल्कि इस अवस्थामें यदि प्रसरणके ये मध्य विन्दु होंगे उतने ही कुहरेके भी विन्दु पश्चात् प्रसरणक्षेत्रमें विद्युत्कण सहसा प्रवेश तयार होगें। यदि भापको छान लिया जाय और करें और चौगुनी संपृक्ततासे अधिक आर्द्रता रहे उसमेंसे इस प्रकारके घनमध्यविन्द बिल्कल कम तो फिर गाढ़ीकरणके लिये वेही विद्यदणु नहीं कर दिये जावं तो कोहरा शीघ्र ही तय्यार नहीं रहते बल्कि ज्यों के त्यो वे मुलविन्दु रह जाते हैं। होगा, और यदि होगा भी तो जलकी बड़ी बड़ी किन्तु यदि नीललोहित-किरणोंके प्रकाशमें प्रयोग व्र दे दिखाई पड़ने लगेगी इससे यह निर्विवाद है किया जाय तो इन विद्यत्कणोंके प्रसरण होनेके |कि गाढ़ीकरणके लिये घनमध्य विन्दुकी जरूरत बहुत पूर्व ही विद्युदणु तैयार हो जाते हैं। है। केलविनने इस बातका बड़ी उत्तम रीतिसे