पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/१७८

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घरहम में पदों होना और जुवद्वा बालक होना डुकपन डीकाई देने यदि शादी सहदी के लिए भी प्रतायन माँया है ।श्रपंद,पाप ,विभासित ध्रवादी कीकल्पनये एस वेदा में ये माना गया है की वियदी विपटी गुनाह और पाप बुरी बातों है भूत पीश्चियों उत्पान होती है ।यही नही था पर रोग उपन्या कर्मणे वालो मनुष्या दुर्सगी भूत पिशाची एसी का उदाहरण है की सुंतम मिलेगी एसीकि 26 मंत्रों हैं ताबीज़ की कूब पाशास्न गयो थी।निशरि कर्ने मा, बाप, भाई द्वारा ताता पापों का निशा हीं करने वाला मानटाई गयी है उसी सेमी यह माना जाता था की दृशित देते हुआ मंत्री का ही था घर में सुक संहि लाने के लिए कीटू एसए भी मनत्रे है की जिस से बाल प्रसन किया जासकता है इचा होने पर समाज में सामानी पार्तिशत बड़ाई जाती है सदर में सघा ने तीखने से ही समाज भूकर काम किया जा सकता है इस समाधा में एक ..सदारहर सहन भूति यों को में शर्तियाँ करनेवाला परमेसी पूनिया बनता हैं गया जिस तरह सामने बिछड़े है पर पर्म करती हूँ उसे पार्कर साँप भी आचे होगआय पं पंथियों को रीदिया पँतियों का चलाने का सुदार कर पति सेव मिग़गी को दूर करने वेल सपति सपनी प्रा भी काले करने के लए यह ठीक हैं की मान विशे कर्यटे अपितु करने वेल नही है इसच के प्रति किसी स्त्री या पुरुष को अपनी इक्चा के प्रति सहनभूति कुछ नही होता है दुनिया की प्राचीन देश ब्के लिए समाज जनता था की समे में इस देश में भी स्त्री या पुरुष अपनी प्रतिमा नही कर सकती हैं बनाकर उसको मुनियँ की अलावा सिखाया जासकता है की या नुकसान पहुँचाए जासकते है॥।