पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/१९०

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३० ३. २०८ की० ३.२३; ३० ७.२०६ कौ० ६.२०; बै० १२. ७३ पौ० ५७- ५१ थेमैं ३3१ १२3 कौ० १६००३पै०४३।७५कों० 3. १८। दोनों सूर्वर्मि उपरोक्त साम्य दिखाई देता है 1 इससे यह क्लागा करना कि कौशिक सूप्रमैं से वे साम्य भाग उतार करबैतस्ना सूत्रमैं क्लि पिये गये हैंड चितन हीं होगा । यह कहना वडा कठिन है दृफि क्तिना भाग कौख्यि तूप्र से लेकर बैतान मूत्रकुँ ३ रस्सा गया है । बैताम सूत्र तथा गोपथ क्या कुछ भाग एकदम मिलते जुलते हैं; परन्तुश्यने हीं से यह अनुमानं नहीं श्चिपृ जा सकता फि गोपथ धाहाण हैवान प्लकै पहले रचा गथाहै 'त्रुथश दृन हीं। उदा० बै.तूप्र.२. ११, गो. बा. १.५.२१ । वसु. दृ ३. १०, गो, ग्रा. २. १. २ । ५ तथापि बैतान तथा कौशिक सूत्रमैं दिर गुर एक हों विषयकै संषघकै विवेचन को देखा जाय ५ तो यह दिखाई देता हैं कि, कौशिक सूत्रमें जिस गृ किसी विषय का विवेचन -हैं वह क्तिफुल पर्ण है दु परन्तु बैतानमें उसी बातका या उनकों मालिकाकै बिषय मै किया दुआ विवेचन संक्षिप्त है । किलो ३ किसी विषय का विवरण संक्षिप्त तथा तांत्रिक रूपसे दिया है । यह पान एतनी स्पष्टतासे ३ दिखाई देतीखु छोटेसै तैनान सूत्रमैं दिए हुए विषयों का ऐसा होने का कारण कुछ ध्यानमैं नहीं आता । वैटानमैं पीव वीधमें ऋपिथोंके नाम दिए हैं 1 उदरहरण झे-कौशिफ, युवन् कौशिक, भागती, माठर' शौनक । परंतु कौशिक सूत्रमें भी इनके गाम दिए हैं और इसकी एक विस्तृत तूचौ दी है; कौसिरु तूप्र मे ऋपियों के ओर दिखने वाले नाम आगे दिए हैंदृ-गश्चर्थ, पार्थश्रध सू काँका यक्त मुरिवड्डाव, जाति कायन, कौरुपथि, रख्याति तथा एषएश कौशिक सूत्रकै ७ पै तथा ८ दै अध्यस्म मे परिभापिक सूत्र हैं- पहले ६ अध्यायों मे दर्श पुर्ण भासबिधि का वर्णन हैं; परशु यह सिद्ध किया जा सकता है कि ये अध्याय पीछे से लिखें गए हैं परिभाषा सूत्र वेंटाग मैं लागू नहीं होते तथापि मैंटान सूत्र के १०. २. ३ मैं कौशिक दत्र के ८-१२ तथा ८…१३ उपयोग किया है पैतान सूत्र कौशिक सूत्रपर निर्भर हैं यह दशनि कें लिए ऊपर प्रमाण वर्णन ष देशा उन सहकारी के शूज क्या आ बौरी गौण क्लोज दिया कुमा है । वदृहरुणार्षदृ-वै, तृ- १- ५९ क्या कौ- दृ- ३. ५ । . दृ. ९१. १४ ओर पौ, सू, २५ २६न्ददृ 1 बै_ सू. २४८ ब ओए एँपृ. ७. १४. ९१०. १७ 1 बै.सू_२५७ सधा चै . सू . ६ ९१-१३ थड्डापि उक्तभथाण किसी अंश तक टीक है सौ भी पूण निमित रुप से सप स्थानोंठे लिये यह फदृ देना फि देवान हार्वे सप फ्लोर कौशिक सूत्र से ही उद्धरण किपा गण है टीक नहीं याह्या शेत्रा । ग्राकौ पी साहव भी इसको पृहाँरुष सै३ जहोंमानते 1 यए भी सम्मव नीप है कि अथर्व वेदानु थापियों पै जो धर्मपिथि या संरुकार प्रचार में येवे कौशिक सूत्र श्याबैसान सृप्र ब्रन्धी र्वेखतम्प्रल्प से दिए हों' लेखन षद्धसि र्मे ही भेद के कारण तमा लेखन शेशी मै भेद हीनेसे लैशिक ट्वे ६१६' सस्तातैका मूंर्णषर्णन आयांहैं तथा मैंसां। दृ मेंकेक्ल उनकी रुपरेधा दीदी दृईर्दा. इससे 1 अधिक कुह नहीं कहा जासफसा । बैतान वें संस्ता रौके श्या प्रे बो अधूरी जानकारी दो गई 1 है वह यदि पूरी फ्लो हीं तो कौशिक चौकी ५ सडाथचा से वह कार्य होने लायक है' यह बैगा सूत्र वें कहीं भी नहीं कहा है 1 यद्यपि ऐसा हो हो ५ टोभोयदृ सष्टर्यन श्याम निरर्थक है; इस कारण ३ छा लोग तैसान सूत्र मृ, १० का समर्थन भाग्य ३ करें । गार्वे साहदने '1. १.८ का अनुवाद कखे में ३ अपनी असमर्थता सौकाट किया हैम्भ सश काण 1 यह जान षटुता है कि, "शियादिप्रिराय वैणी भिझे शन्द्र फी गाचसा ऐप गत्तती से सूत्र दर्शक श्यागृ गए हैं । परिभाषा सूत्र कौशिक ८. १६ के आधार ३ से वे. मू ५. १० का उतम प्रकारसे स्पष्टि क्या ८ हो जाता है । बेजान सूप प्र. १८ मे शश्र्वयुदश ३ स्नाने कै उक्योंरायें खाई णानेषाती पबिप्र द्रस्तुओ की ( विशेषता: थे चीतै वनरपृति हीं हैं ) यूवी २ ही है 1 बेताज सूप्रमें झरे श्या पुकारा हैं ओर ५ त्सके बादलो दूसरी मूवी दी है डले आफिस्त हूँ पुकारा है । कौशिषदृ त्वमैं गए दूसरी सूची क्यों ५ दो है । कौशिक मूत्र मैं पहली सृचपृ फ्लो वृ। है, स्स काष्ण वैश्या दायें यह सूची क्लास दो दु ३ हैदृओर पौथिश पैपूरुरो ददौ हुँपँहीं यी है रस कारण पैतानर्मे दूसरी सूची श्या दी डरें दिखाएँ दृ एँतो है । ओर केक्त दसौण्ड पातवे यद क्या ८ 1 क्या हैं फि हैवान