पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२०३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(२)


का सहयोग क्या हो चुका है । सम्पादकीय सस्था तथा लेख हत्थिदि का प्रबंध इसी माडलपा मिर्माक्ति निर्धारित क्र्र् दिया गया है।इस् मश्याठे बाहरसे भी देशके अनेक धुरन्धर बिद्वा१रों द्वारा किसी भी भाषामें लेख प्राप्त करके क्युबादृडा प्रबंध विथा गया है। देश तथा प्रान्तके ऐसे यहै बहै महानुभाव जो हिन्दी: बिशेष प्रेमी होने पर भी समयाभावसे इस कायमें पुर्ण सहयोग नही का सकते. किन्तु जिनके सामायिक उपदेश तथ सहानुभूति हमें पूर्णरुषमे प्राप्त है श्वसे द्वारा शक 'संरक्षक-मंडल' की योजना हो चुकी है।

                  इसकी विशेषताये

(१) भारतीय जनताके सम्मुख अखिल पिश्वकै विविध-पिपयश्चत्न प्राप्त आँका एक मात्र क्या क्योंकृप्ट साधन प्रस्तुत करमा २ ) गूढ़ क्या गहन क्योंकी परिमित क्तिश्चसै स्तिने पर भी उनकी स्पष्टता तया सरलता पर पुर्ण रूप से ध्यान रसना । ३ ) प्रत्येक विख्यात विशेष ज्ञान प्राप्त कानेकैद्विये लेसोंकै धन्तमें सर्वमान्य सन्दर्थ क्योंकी सूती देना ४ ) अपने रिपमकै सर्वमान्य क्या सर्योंत्तम वैराहँपिं सेख प्राप्त डाना ५ ) वैदिक तथा शाक्ति भारतीय क्या, संस्कृति क्या सभ्यता पर विशेष रूप से प्रकाश डालना है ६ ) सैब्रतब्रन्धी अनेक चित्र् तथा नकशो द्वारा विषर्षों को अधिक सुगम वधा स्पष्ट बनाना