पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२०८

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दृपयोंगफिपादै । अथर्व ४,३८त्क स्थपृरुपसे टू १ दृद्रुत्तसेछोटे छोटे तूकौ का ग्रमाहै । गिल द्वारा ` दृ स मूक्तके ५-७ शूचाकी बो टोका कौगई ३ है उसकी कौशिक न्त्रसे पुष्टि मिलनी हैं ओर इस ३ 1 क्यों क्या प्रमाणसे यदी वातसिद्भ होती है पृचा १-४ में पूत विषयक अभिचार मंत्र है ३ ८ गेरकीशिस्साडदृ, १३मैं अथवंझपृन्ह तथा हुँ १ १०९ फेइसी प्रकार कै दूसरे मसौदे साथ ' मृ खकाबिचारफियां है ५ ऋचा १-७ कौ० २१. ट्वें १ मैएक जानव्ररकै सम्बन्धमें अभिचार मध ५ क्रेप गए हैं 1 ये अन्त की ऋचाएँ गस्ती ऋचाओ ने अपेक्षा इतनी भिन्न मामी गथीहैं कि नको मित्र परिभापिफ नाम "क्लीपादाष्ट" हैया है । उसी प्रकार णाकारोंफै प्यागर्मे यह बात ग्रईहै फिसूफ ७,७४१हुससे निमिष क्लीका 3 नादे, कौशिक ३२, ८ ये पएखीदो ऋचामैं प्रपवित’ नामके धात्रोंकौ मिटानैपाले तंपीमे हुँ [लाई हैं 1 तीसरी ऋचा कौष ३६. २५ कौ मत्सर दुकाने बाला मम्प्र मानकर उक्ति स्थान दिया या हँओरबीयीऋचाकौ० १…३४ की भी ३ शके अनुकूल हीं प्यान दिया है । अथर्ववेद हूँ संस्करणशरोंमैं स्सप्रकार की विभिव्र ख्वा की चायेंउपयुन्कस्यस्नमैं एकत्र करनेमें क्ति बात ३ द्रन्यूनता थीअर्थातूटीफ टीकरुथान नदेनेका ३ दृरण पूर्णरुपसे अर्यडान न होना था अथवा कोई दृ टराहींकारण था, इसका निमिष फरमा कठिन हुँ इसी प्रकार अधर्यभूक्त ५५७६ कै कौशिक तथा मन दोंनों हीं ब्लोकें तीन तीन भाग जिये निस्सम्हेंह उपरोक्त सम्पूर्ण उदाहरणोंमैं ३ हेता की परम्परा कौओशा विधि तथा आंचार दृ पस्माखु थेट मानी गई है । हुँ श्यायेदपै श्याकै क्या ग्रंथ क्या बाहुल्य जा क्यों क्यों दिया है । हैं क्तिकौदृ कृश्न ( मि'टा'ष्ट ) की हूँ घुनिफ राजधानी' है । यह नगर

दृ कौ सम्भावना थी । थहाँकी आपङ्कवा सम- शीतोष्ण है, किंन्तु वदुनशीघ ही परिफ्तन-शीलमी ५ है । उत्तरीय नायुके ल्यरण क्या समुद्रतटसे ड्डे निकटहोंनेकेकारणयहाँ कभी तेज गरमी अहीं पड़ती । इतिहासकापैका मनहँ कि यहाँकौ ३ स्वच्छ तथा उत्तम आयहना ( ओलिभ ) के कायण डे ही टुहाँके लोग उत्साही तथा बुद्धिमान बोते रहे । 7 ३ मेंयेन्तमैं अगोरा नामक प्रसिद्ध म्पापास्वी मरावी थी । यह अपने व्यापार तथा भव्य क्या. 1 प्लोढ लिये दृढ ११ विख्यात ण यसँकी येंपैण्डमी भी मृहत्वमूर्ण है । प्रसिद्ध बिदार प्लेटो ( अफलालूँ ) तथा अरिरटाक्ल अरस्तु) इसमें अपनी शिक्षाका प्रचार किया ३ करतेथे । प्रयत्न करके यहाँदीगुफार्थोंकाभी पता लगाया गया है जो अपोलो तथा निसर्ग हूँ देचताका निपाखशान था । शैलश्मीयमका मन्दिर भेंयेम्सके संचार प्रसिद्ध स्यागामैँ रहा है नोंयेन्तकौ ब्रल्सीया इधर सौ क्योंसे उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है । यसँकौ आसंका दृ ६८2५ रै० में लगभग १०००, ९८७० ९० में ४४५१०, सत् १८७९ में ६३३७१, १८८९ ३ में १८७२५". भीरु १८९६ ई० मैं १११४८६थी ३ आजकल थहाँकी आबादी ३०८७०१ के लगभग ३ है । १९१२ ई० मैंयहाँ बो विश्वविद्यालय स्थापित मृ किये गये स्थर यहाँकै ध्यापारफी क्या फिर वहुत कुछ ३ सुघर गईहै ! पिरिथसमें फपड़ेकौ आठमितै १५ भाषसे चलनेवाली प्राटेकौ क्यों दीरअनेफ ३ सांपुगके कारखाने हैं । जहाज़ समावेश काम हैं यहाँषड़ेभारी पैमानेमैंदोसाहै मीरास-प्राचीन र्थयेन्सकै प्रारस्थिक हलि १ दासकै सम्पम्भमे