पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२१६

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वेद के अन्य स्थानो मे)'अदिति पुत्र कह कर सूर्य को संबोधित किया गया है|वेद पूर्वकाल मे सॅहस पुत्र शक्ति के पुत्र का अनुसार वरुण आदि देवताओ को स्वतंत्र पुत्र कह कर प्रधंत्व दिया गया है| इसके रूप के विषय मे ओल्डन वर्ग,मक्स्मुलर ,राथ इत्यादि लेखको के भिन्न भिन्न मत है| निघ्रतू मे अदिति शब्द से प्रथ्वि ,गौ अथवा घावा प्रथवी इत्यादि सूचित होते है| अदिति को देवोन की बलवान माता कह कर अंतरिक्ष मे स्थान देता है तथा आदित्य को स्वर्ग लोक मे ले जाकर छोड़ता है|

  आदिलावाद जिला--यह जिला हेदरबद के बरगढ भाग के उत्तर मे स्थित है |१६०५ के परिवर्तन के पहले 

यह सिरपुर तथा तंदूर के योग से बना हुआ एक उपभाग था| इसके उत्तर मे बहाढ़ तथा जिला चंदा,पूर्व मे बहाढ़ जिला नान देश तथा वशीम तथा दक्षिण मे करीम नगर तथा निज़ामाबाद जिले है| पैन गंगा नदी द्वारा यह जिला बहाढ़ से विभक्त है| इसी भाँति व्राध तथा प्राघिता नदियों से यह जिला चंदा से अलग हो गया है| इसका शेत्र फल ७००३ वर्गमील है|सहधरी पर्वत इसमे दक्षिण पश्चिम से दक्षिण पूर्व की और १५९ मील तक फैला हुआ है| इसके दक्षिण भागको गोदावरी से पानी प्राप्त होता है|दूसरी महत्वपूर्ण नदी पन गंगा है| यहाँ पर घना जंगल है| इसमे सागवान,अवनूस,आम,इम्ल