पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२३१

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अधि' ज्ञानकोश ( अ ) २०८ अनकापच्छी एक ऋषिथे । उन्होंने अमरपुत्र होनेके लिये करिम दै" किय. । उसे अमर उब तो जाहीं प्राप्त को एक अड निरयड़ा और परिधि दिन मर इम, परम-ने-ले कहा कि यह जो सामने ( गया । इस कारण अनाथ-ही हु१का आमद बहार है वह जज बम गोगा तब तक सर पुत्र भी । हो जस उसे विम पैम 'गुम हुई और है-गश जीवित रहेगा । इम बालने महिधि ऋषि की ( में कैम' गया । प्रतिक अधम पुरु' शतीबम की य' कुएँ मैं पकि दिया । अनी मसके हर.; श्चिका यक कृत्य कलर यक-आप दिया कि तू मर जायगा ( विल । है । अवरु अध्याय: पतिव्रता धर्मका निरूपण जब बह महीं मरा सब जाय उसके न मरने का किया गया गया है । उसका अधिक मास महास कारण तपोबल से जात कर लिया । उ-मध से वर", कोई लगाय नहीं है । यम अय हजारों महिधि ( वैसे ) उनी किये जिन उस शक-ई अध्याय: पुरु-ममयमहास सुनने पर्थ-हैना-कर: डालना. मुनिपुब भी तत्काल ही मर शव है धनुऋषिने बालम खाय जिसमें प्रवेश किय, । इस प्रकार पई तेन कहकर: औहजिकहा किसूअगखे व्यरढ़धन्श म१मकराजा होगा और विश्वको भूल जायगा । तब यहीं शेड, पुब शुक(सोता) के अपन माझनेनु९५ याद दिखायेगा और वैराग्य प्राप्त होगा है ( अध्याय २० ) पुरुष" मस मन सुनने के कारण तुझ पुच प्राप्त होगा : ( अथ २१ ) इससे पूथधिधि य, है । अध्याय२२शेया क्रियम आहि का यहै: अध्याय २३ और २४ मैंपुरुबोचममासतेदीपमान कर-म वर्णन है । उसका पल-: महब दिश्वखाशेके लिये अमर ऋरिहारा जिस शयन उसके यमक: जून सुनाने की क्या बनि है है पृधु९जय राजाचमकम:पुस मरे यके मामले रह" था । यह परम नास्तिक और जीब-परायण शब भी है रस से मत्येय है उग्रदेव नामक ब्राह्मण (पक मार: सेवा की । उअदेबने उसेपुशगोत्तम मास मैं इंजन कय काउ-दश दिया । उत्-दान करक कारण भी मणियअगले जय जि-धुर-जा उस । यचीसवै अध्याय वयक्ति मुनिने डस-म रतन उद्यापन विधि बनाय, है है य-ब' अबकी गृहीत नियय न्यागके सम्बल विवेचन किया गया है: इस बह बाना मुनि-कथ कइसे पर उड़ते र-पर अपने पु-को बैठाकर तप करने चर गया । आगे-बसम भगवद-रब खींन हो रखा: सताईसरें अपके अधशेव भागे जिब शर्मा नामक पक कृपण गल की कथा है । उसने बहत, नहीं किया । ण्ड सदर छोरी चु-पजल प्रबल रहता व: इस किमेमरनेपरम पहर प्रे-योनि प्राप्त हुई ओर पश्चात्-ह यर बनाया गाम । मर के फलक वर्णन है । अहिर-पाके आसपास रहने बाला एक सूत । रा४)शशगु१.१४/, । ' महसरत बा३०कां०१प३ रस कानाम राधा व: इसी देपतिके द्वारा कवक' गहन दोख-वा गया । ऐसा कहा जागा कि यह और देशम र-शह::-: कणब :7:::, नाम रखकर: उस ना योणाचल पम अरुररिद्या सीखने: लिये भू: ( मय भाव २३०९९) इसी कास्कृसे महाधियवाए कर्णके रज, समि, जत इन्याहिजाम हैं । अपेक-भाव-के अपन ममाम संत मील पर आयरन नरीके उधर तीरपर वह । रोल बह वा:] । यहधि जनसंख्या लगभग । लिय : य के जाजष्टिवाका हनुमानजी;

मन्तिरख्या पु-थकी पादुका दर्शनीय-या

मथका स्थान हैं । यह स्थान सोमम पावा वादक शेब है, जाब: रामन अपनेपुश ९९ल८९की (74: दि; था । यह तबले उसी वशज पास 1( नग-ध) अन-य-अर अमली ख्याकपतडिले८ मुख्य ल: है । यह उ० अय १"१६' से२०प और पू० देय अ" से ब२६' मैं स्थित है । रखकर २खफल १८६१ वर्ग औक है 1 एई १५०१ मैं इससे आ आसने । जनसंख्या-ब तोल हजार है।इचम्गृशहुं९द१कां११ईआ४ । में केवल जैम जग यमि खेतीकी जाती थी 1 वह । अन नवी: है::: । ( इं० ग० प ) के वि अनकहा --ण्डवन्द्र१स अन्त उ- । चम जिम बस स्थिर एक समय है: ऐब:: अ० इ:: से (रा/औ-, पू" राजी व्या५७' ८ऐ०१४' ।

इसका बकता य७ अमल है; यस

जनसंख्या लगभग पश्चिम.: कीड हजार है: इस बने अन-ली गषि और १४३