पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२३२

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अधिकमास ज्ञानकोश ( अ ) २०९ अन-ब एक ऋपि थे। उन्होने अमरपुत्र होनेके लिये कथिन तप किया। उसे अमर पुत्र तो नहीं प्राप्त हुआ। थी । आजके उत्तरका प्रदेश उपजाऊ है । छोकरे. । जान और ईख पैदा होती है । इस समय असत्य-ने तपनव२९तिहास्कात्तानिव केबल जधीवाश्चिनहैं 1 गोशेशच -मकोय धिजयलगरम और जिरपुरपकी जभीदारियाँ । मिलाकर एक तहसील यहै । कार-ट । उर्मधिरी पल्लेधिरोकोलखरकारक: पंरिख्यारीका स्थान था । सं० १ज९४ से १दा२ की तक उम बोडजिशेका बर टिकाना था: १८०९ ई० के बाद इसका विजयनगर, समावेश होगया : म ग-ए रख ) ( अनन्य गोबी-य-कायल अभ-, । का मुख्य टिकाना है । यह उत्तर आय १ग्र४२ और पू० है:. ह३१२ है (यहै । यह रोल शारदा बल तीर पर सिजगापष्टण ( विश-नर) गाँवके पक्षि" २० यपर वसा हुआ है । यह भान उपजाऊ है है इसलिये यह. अनाज ओर य बाहरी प्रान्र्त१र्म भेश जाता है । यहींकी जन संख्या: १९२१)प० थी । यहाँ१०आ9] न्धुनिलंयसी स्थापित हुई है १8०३-प्त ई०.म: । आय २४०था और व्यय २१आ०) व । यह गोया । सदर्वमरक्ता उके बार-सेर ल-र वक सं-थन हो पानी-गश-ठ-बरसता, है ( अवंरि१ड इण्डियन गाम, ई० न है' ) अ-गोरस-बह आयोजन २लवआन काम' अच्छा चेला होगया: [ इसका' 6 ५० ४०० है एशिया माय प्रसिद्ध नगर: यस-झा हुआ था । लगभग ई० पू० ४६४ में यह होजाग्रकी पंख कर (पके 1र्शय नगर ओस चलत आया था । यह ज्योतिष तथा गणित-कार विद्वाक्रथर : धुल यहखजचिका म था और अपने वक धिचारीके लिये प्र-खव; मत: यसले इसका अच्छा सबर हुआ: अज: प्रखिद्ध पुरुष पेरिस साथ ही इसका अधिक समय बीतता था । प्रत्य नाटक. लेखक युरी-जका यह बर शिखर था । तत्व । बान तथा शाबनिनिदरीशिको बह अंबर । निवारिर रखी ने पैदा की है गोपोनिशियन विचारक वि-ह ण्ड:भिन्न ही मार्ग निकाल दिया है । दुलकी बाल सबकी-र है कि मतान के सबउपविवेवय बबसककर अंधे. ही तात्विक धमका मुख्य केन्द्र उस समय होभहाथागी जाके परमा-यक विचारने कारण ही जगअनाकी उपरि, यर भी ( यन्त्र शब लिय यक-चौके विचार पद्धतिपर) परमा-के प्रलिद्ध लेवा-तकी छाप लग गई : उसने भी 'ममववाद-र अरे चलकर मच ( ९५पूह ९७०ष्टि ) ने यम कुछ अनुकरण किया है भी मत ओक ठीकाकागौने भी भविष्य.. चालूरचआ । [ हमके अधम औम' य, 'मयक, औ-, शम सया परमापशइके विखारोब लिये मविशन औ हास' देवर है ] अनश्चिमण्डर--पानान में यह दूसरी प्रसिद्ध बववेचा होगया है । इसका उर-दम ई-, शि" ६१० है होगया था । इसके पंबको 'अयोनियन तथ-बन भी कहर हैं । आका तो कथन हैकि यह प्रसिद्ध बय-ष जाखकाधिश था, किन्तु बका मत है कि यह उसका शिष्य रहा होगा 1 किन्तु इसके मत तथा किचाशीको देखते दल इसकी थे-का लिय कहना उचित नहीं जान पड़ता । शेहिजिके समान इसने भी 'विविध चमत्कारों के सहारे एक अपरिमित तब को ओज निकालने का प्रयख किया, बित इस अन्य लियम रोमक मससे (बकुल मिस देख पन हैं. शेडिश्वने जत' को एक प्रधान अथवा बहाव माल है किन्तु इसने जल, उ, अवि इन किसीको मल लम-ना: उ-मत है कि केवल 'अनन्त' ही पक यपापी व्यय है : रस सावन वह 'अ-अथवा 'अगणित' (तिभि1७३) बजता था । लिउ७का८केशन, है कि जल, निमन:- अधि इत्यादि नम्बर कारण पूल" नह कहे जा सकते । दशम २मनन्त' के निकी कहता है कि अह 'अविनाशी (अगम' तथा सुर) एल जव ऐरी-का प्रमुख जाता रहा तो 'ममहू हैं । उन चालक अव"' प्रेरराशली इसपर अधम-शे-ण करचीअभियोश (हेय" [पर ) भी विद्यमान है । जिस चलापागसा । किन्तु पेरिभीके प्र-ब व्याख्यान प्रकाश व-वार द्वार, एक जल उवा जाम है ले यह (लप ठहराया गया है किन्तु इबि विधिक । उसे प्रकार उस अन", पतवारखे यह अवर यर भागना पम 1 तब यह अयो९न्यामैं । पब' करता है है विशे-का तो कथन है कि अतर लमखकसमैंबस गया है यहधि रसम योरथख्याडमैंजो ई-रची कल. निकाल २६९ .