पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२३४

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(२) देहलीके एक तोमर वंशीय राजा का नामा। तुवर अथवा तोमर वंशका यह संस्थापक था । उसका राज्याभिषेक शक सं० ७३६ मैं हुआ था । इसने देहली को ही अपनी राजधानी बनाया था किन्तु इसके वंशज कन्नौज चले गये थे । ,राठौर के प्रथभ राजा चन्द्रदेवने जब इन सोनोंको यहा-से हराकर निकाल दिया तो अनङ्गपम्ल द्वितीयने देहली आकर उसे फिर अपनी राजधानी स्थापित किया । अनङ्गपाल का शासन काल देहली के प्रख्यात लोह स्तम्भ पर 'सं० ११०९ दिहली अण्ड-पाल बही' इस प्रकार दिया हुआ है । इससे यह ज्ञात होता है किअनङ्गपाल सं० १०५० ई० मैं देहाती में राज्य करता था । अगली शताब्दि मे अजमेर के चौहान वंशीय विशाल देव ने तोमर वंशीय अनङ्गपालसे देहली छीनली और उसे एक छोटासा राज्य देकर अपने राज्य का मएडलि( सूबेदार ) बनाया । चौहान तथा तोमर घरानों में विवाह सम्बन्ध हुआ । पृथ्वीराजका इसी धरानेसे जन्य हुआ था। आगे चलकर वह देहली का राजा हुआ। अनंगभीप-कलिंग देश का राजा । इसको लाडदेव भी कहते थे । इसने एक ज्ञगत्राथ का मन्दिर वनवाया था । उस मन्दिरकें खम्भे एक लेख खोदा दुआ है । अनगरंग ग्रंयका रचयिता कल्याएमल्ल इसीके आअयमे थे। आमंगहर्षमात्ररात- यह नरेन्द्र वर्धनका पुत्र हो गया है । इसने 'तापस वत्सराज' चरित्र