पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२४४

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- अनन्तपूर ज़िला ज्ञानकोश (अ) २२० अनन्तपूर ज़िला है। मकशीर ताल्लुकेमें पानीकी व्यवस्था होनेके परन्तु जिस सत्ताकी विजय होती थी उस सत्ता कारण वह ताल्लुका अधिक उपजाऊ है। के सामने पालिगारोको नमना पड़ता था । इन भूस्तर-पेन्नार नदी इस जिलेमें बहती है। इस पालीगारोमें आपसमें वैमनस्य होनेके कारण जिलेका उत्तरी और पूर्वी भाग भूस्तर-संशोधन- किसीमें कुछ तत्व नहीं था। तो भी अनन्तपूरके मंडलने जांचा है। इस ताल्लुकेमें वज्रकरूरके पालीगारोका काफी जोर था। हैदरअलीके हाथ आसपास भूपृष्ठपर कभी कभी हीरे मिलते हैं। में राज्यसत्ता आते ही उसने अपने राज्यके पास परन्तु वह ऊपर ही क्यों मिलते हैं यह ज़रा गूढ़ के इस प्रान्तपर भी कब्जा किया। १७७५ ई० प्रश्न है। यहाँ के नीले रङ्गकीचट्टान अफ्रीकाके किम्बले | में गुत्तीका किला मुराररावने हैदरके विरुद्ध लेने की नीली मट्टीके रङ्गके समान है परन्तु दोनोंकी की चेष्टाको परन्तु रसदके अभावके कारण किले उत्पत्ति बिलकुल भिन्न पदार्थसे है। बहुतसे गाँवों के लोगोंको शरण आना पड़ा। १७६२ ई० में में कुरुन्द नामक खनिज पदार्थ मिलते हैं। ऐसा ब्रिटिश, मराठे और निज़ामने मिलकर टीपूको कहा जाता है कि सुलभररी और नेरिजमुपल्लोमें हराया। उस समय उसने जो भाग इनके सुपुर्द उत्तम प्रकारका "स्टोयहाइट" मिलता है। किया उसमें अनन्तपूरके ईशान्यका आग ताडपत्री वनस्पतिः-बिलकुल ऊसर जमीनमें पैदा होने और ताडीभरी ताल्लुके निजामके हिस्से में आये। वाली वनस्पतियाँ इस भागमें दृष्टि गोचर होती १७६8 ई० में श्रीरङ्गपट्टनके हमलेमें टोपूके हैं । नागफली, बवूल और तरवड़के वृक्ष अधिक मारे जानेपर उस समय जो हिस्से हुए उसमें इस पाए जाते हैं। जिलेका शेष भाग निज़ामकी ओर आया। परन्तु जंगली जानवर-कडापा जिलेके सीमा प्रान्त ! १८०० ई० में ब्रिटिशसेना जो उसको अपने पर सूअर, बारहसींघा इत्यादि जानवर मिलते हैं। राज्यमें रखनी थी उसके खर्च के लिये वह प्रान्त आबहवा-यहाँ की हवा सूखी और स्वास्थकर उसने ब्रिटिशोके हवाले कर दिया। इस प्रान्तके है। मार्च महीनेसे ग्रीष्म ऋतु प्रारम्भ होकर जून दो हिस्से बनाये गए, और आजकलका जो महीनेम वरसांत शुरू हो जाती है। इस जिलेमें | अनन्तपुर जिला हे वह पहल पूवावल्लारा जिल दोनो मानसूनों (mansoons) में से कोई भी काफी समाविष्ट था । परन्तु यह जिला बहुत बड़ा होने के नहीं बरसती ईशान्य दिशासे श्रानेवालापानी अक्तू- कारण इसको व्यवस्था एक कलक्टरस नहा हा वर में खूब बरसता है। परन्तु आगे कुछ नहीं वर- सकती थी। इसलिये सं०१८८२ ई० में इस जिलेके सता। सम्पूर्ण जिलेकी औसत वर्षा प्रमाण २३ इंच वल्लारी और अनन्तपूर दो भाग किए गये। है। १८५१ और १८८६ ई० में यहाँ बहुत बड़े बड़े । इस जिलेमें प्राचीन देखने योग्य पेनुकोडा तूफान आए थे जिससे बहुत नुकसान हुआ था। और गुत्तीके किले हैं। ताड़पत्रीके देवालयको ___ इतिहास-चौदहवीं शताब्दीमें विजयनगर खुदाईका काम प्रेक्षणीय है । उसी प्रकार लेपाक्षी राज्यमें शामिल होनेके पहलेका यहाँ का इतिहास और हेमावतोके देवालय देखने योग्य है । इस अवगत नहीं है। इस जिलेके पेन्डकोडा और | जिले में जो शिलालेख पाए जाते हैं उनमें हेमावती गुत्तीके दो किले विजयनगरके राज्यके भाग थे। के लेख सबसे पुराने हैं। उसमें पल्लव राजाको १५६५ ई० में दक्षिणके मुसलमानोंके विरुद्ध वंशावली पाई गई है। नवपाषाण युगके कुछ तालिकोटके लड़ाई में विजय नगरका रामराजा अवशेष टेकडियोपर मिले हैं । कुछ प्रागैतिहासिक मारा गया। उस समय नामधारी राजा सदाशिव लोगोंको बनवाई हुई कब्र भी पाई जाती है। अपने अनुयाइयों सहित पेनुकोंडा भाग गया। इस जिले कि जनसंख्या किस किस तरह इस जगह विजय नगरके राजा बहुत दिनोंतक बढ़तो गई है उसका अनुमान निम्न लिखित रहते थे। उस किलेपर कितने ही हमले निष्फल अंकोपर से हो जायगा। हुए परन्तु अन्तमें यह किला मुसलमानोंने सर सं० जनसंख्या किया। परन्तु इस बीचमें विजयनगरका राजवंश १-७१ ७४१२५५ उत्तर अर्काटमें रहने गया था। इसके बाद मुसल १८१ ५६६ मानौने गुत्ती किला भी सर किया। मुराररावने १८६१ ७२७७२५ यह किला मुसलमानोंसे छीनकर अपना निवास १६०१ ७८८२५४ स्थान बनाया था। उस समयके धूमधाममै वहाँ ६६३२२३ की स्थायीतसत्ता पालीगाराके हाथमे रहती थी। १६२१ &५५६१७