पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२५२

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अनारकली ज्ञानकोश (अ) २३२ अनावल AAAAAAAAAAAAAAAAAAA A AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAATARIAAAA- सर अनामलई चेटीयरको है। बहुत से छोटे इसे दीवारमें चुनवा दिया। किन्तु जब सलीम छोटे कालिज इत्यादि जो केवल इन्हींकी उदा- | गद्दी पर बैठा तो उसने इसके स्मरणार्थ लाहोर रतासे चलते थे वे सब इन्होंने विद्यालयके में एक सुन्दर मकबरा बनवाया जो इसीके नामसे अधीन करदिया और २० लाख रुपये इसके प्रसिद्ध हो गया। एडवड टेरी नामक दूसरे सञ्चालनके लिये और प्रदान किये। उच्चशिक्षा के यात्री (१६१६-१६१६) का भी मत है कि यह साथ ही साथ तामिल प्रदेशकी विशेष छान बीन | अकबरकी विशेष प्रियभाजन थो, किन्तु सलीम करना हो इसका मुख्य उद्देश है। अन्य विश्व से इसका अनुचित सम्बन्ध था। इसी कारण से विद्यालयोंकी भाँति इसका भी संचालन सिण्डी | अकबर सलीमको अपने उत्तराधिकारीके पंदसे केट, सिनेट तथा एकडेमिक कौन्सिल द्वारा होता अलग करना चाहता था। . है, किन्तु सर अनामलई तथा उनके उत्तरा अनावल-यह गुजराती खेड़ावालका एक धिकारियोको विशेष अधिकार दिये गये हैं। इस वर्ग है। इनमें भथेला, (भ्रष्टेला) देसाई तथा के चैन्सलर सुबे के गवर्नर होते हैं। मस्तान (महास्थान) आदि अनेक शाखाये हैं। - अनार-एक प्रसिद्ध फल (देखिये दाडिम)। कदाचित् बड़ौदाके नवसरी जिलाके महुआ ताल्लुके अनारकली-मुग़लकालकी एक प्रसिद्ध के अनावल नामक गाँवके नामके अधारपर इस स्त्री। यह जहाँगीरके समयमें होगई है। यह वर्गकी उत्पत्ति हुई होगी। कुछका विचार है कि नादिरा वेगमके नामसे भी प्रसिद्ध है। लाहोर गुजरातके पहले पहल निवासीका नाम अनावल में 'अनारकली' के नाम से इसका मकबरा था। उसीसे यह वर्ग निकला। कुछ लोग इन प्रसिद्ध है। इसके सम्बन्धमें अनेक दन्तकथाय का सम्बन्ध बड़ीदा राज्यमें जो गरम पानीका प्रसिद्ध हैं। कुछ का कथन है कि जहांगीरके भरना है उससे स्थापित करते हैं। स्कन्दपुराणमें समयमें यह किसो राजघरानेसे थी किन्तु कथा है कि जब लङ्का विजयकर रामचन्द्रजी पुष्पक कुछका अनुमान है कि यह एक दासीका नाम है विमान द्वारा अयोध्या जारहे थे उस समय विंध्य- जिससे जहाँगीर को गुप्त प्रेम था। इसी कारण पर्वतपर स्थित अगस्त्याश्रममें मुनिदर्शनार्थ नीचे से अकबरने इसे जोवित ही गाड़ देने की आज्ञा उतरे थे। इसी स्थान पर मुनिकी श्राशानुसार दे दी थो। सम्भव है कि यह बात अक्षरशः सत्य रावण-बधका प्रायश्चित्त किया था। आगे चल न हो किन्तु इतना तो निश्चय पूर्वक ही कहा जा कर यही स्थान अनावलके नामसे प्रसिद्ध हुश्रा। सकता है कि 'अनारकली' नाम की स्त्री जिसके यहाँ केवल भीलोकी बस्ती थी। अतः हिमालय नामसे लाहोरको मकबरा विख्यात हो रहा है। के गंगा कुलगिरिसे ब्राह्मण बुलवाये गये। ये वह अकबर अथवा जहांगीर के समय में अवश्य | बारह सहस्र ब्राह्मण थे जिनके बारह भिन्न भिन्न हुई हैं और इसका प्रेमी राजघरानेके होने के / गोत्र थे। इन्होंने बारह सहन शेषकन्याओसे साथ ही साथ इसके प्रेम में पूर्ण रूपसे रंगा विवाह किया था। इन्हीं ब्राह्मणोंकी सुविधाके लिये हुश्रा था । यह बात इसकी कब्र पर खुदे हुए श्रीरामचन्द्रने गरम जलके सोतेका निर्माण किया पद्य ही से सिद्ध हो जाती है। उसका आशय | था। इन ब्राह्मणोंने रामकी दी हुई दक्षिणाका इस भाँति है:- निरादर करके ग्रहण करना अस्वीकार किया। __हा खेद ! यदि एक बार में अपनी मृत-प्रिया फलतः रामचन्द्रने भी इन्हें श्राप दिया कि वे निम्न- का मुख किसी भी भाँति देख सकूँ तो मैं अपने श्रेणीके गिने जावेगे और वे वेदपाठ, याशिक को धन्य मान और अनन्त काल तक ईश्वर कर्म तथा दक्षिणा ग्रहण करनेके अधिकारसे च्युत का गुण गाऊँ।" (वील-श्रोरियटल वायनॉफिकल हो जायेंगे और इनकी गणना वैश्यवर्गमे होने डिक्शनरी) लगेगी। "श्री ट्रेवल्स इन इण्डिया सन् १५८३ दसरी कथा इस प्रकार है कि ब्राह्मणों के अभाव रदर ३०' नामक प्रथम प्वालयम फिचन लिखा के कारण श्रीरामने भीलो ही द्वारा सब यज्ञकमे है कि यह कब्र मैंने अपनी आंखों से देखा है। करा डाले। किन्तु केवल इतने ही से उनका उसका मत है कि 'अनारकली' अकबर की उप गणना उच्च श्रेणीके ब्राह्मणोंमें नहीं होसकी। पनि और शहजादे दानियालकी माता थी। नवसारीप्रान्तमें इनकी बस्ती बहुत है । १६११ सलीम स को इसका कुछ अनुचिन सम्बन्ध था। ई० की जनसंख्याके अनुसार बड़ोदामे ६५७६ जब अकबरका विदित हुआ तो उसने क्रुद्ध होकर अनावल थे। इनकी गणना जमीदारों और निरादर को धन्य किसी भी भाँतिर में अपनी मृत