पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२५६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अंगिरा ऋपिसे उत्पन्न चार श्चार्चोंबै कनिष्ठ । (२) द्वादृशादिदृयौमैं भाता नामक आद्वित्यकौ की हूँ ( ३ ) शारुमली हीपकौ एक महामारी । ( ५ ) रश ब्रहापि । ( ५) एक देषपमि जो स्वावाभिषेकके जिये आयी थी । (६)पूर्थिमाकेपहलेकाएकहिन, बिसक्ति देय और पिततैकों पिगड देते है है हते देवता मानकर: राजसूय यस्मै एसजी पृधा भी की जाती है 1 ( तै० सं० १८,८,! है३धु, अ, १, काम संहिता औ, ८, धाजत्तनेवी संहिता २९,६०५ वा', ८५ धत्- क्ति प्राझण प; ६ ) अत्रुराधपुर…है'साकें छा सौ वर्ष पूदै उतर सिसोनकै मष्यभागमैं कर्दम मदोकै किनारे अनु- राध ( अनुराधा वव्रत्रसे यह नाम पुन्ना ) नामक राजाने इस शगरकों षसत्या था । यह नगर प्राय: पन्द्रह सौ बर्ष तक सिर्तान की राजघाणी था । हँसाते पांव सी दर्प पूर्व राज्ञा पंड्डफामपने अपनी राजधानी डपतिस्ताकौ होड़ दृसे ही राजधानी बनाया । हादसे ख्यात्मार आठवीं शताब्दोंके राजा अंप्नयोंधिफे समय तक यह नगर राज्ञघाणी रहा । उसके अनन्तर म्पारदृर्षों शसाइहीमैं भी कुछ दिऩर्रेके लिये राजधानी रद्रनेकै अनन्तर षहाँसे राजधानी हटा सौगमो 1 सिंहल अपके फिखाज इसे अनुराजपुर कहते हैं । यहाँ को जनसंख्या ३१०० है । इस ब्रगरके गिब्दहीं राजा पस्तुकामग्रने एक सरोबर ग्रनवापाश पिसे भिक्योंरिया सेफ, जय- नापो या अभथवापी भी काल है । गुरुणा शेष फल दो औल है । इसके दक्षिण ओर दो मील पर एक पौथिकुझ है । सरोंषरकै चारों ओर जैन आहि विभिन्न सम्प्रदाथकै सन्यासिर्योंकै रहनेकी जगहापनी थी । दृसकै उएरर्मे षारमिनी (थिडान) सांझा एफ ताखाष है । खफडीफा बना दुआ यह प्राचीन शहर तो नाट होगया है पए थे दोनों साहाब आ. डाक प्रापीगस्मृति बनाये मुप हैं । इस ५1६१३। सौन्दर्य तिदृव्र नामक अजाने यद्वाया ( ई० पृ० ३०० ) । यह सम्राट अशोका। समकालीन था ओर हम पौगौमैं ग्रहों भिप्रत्ता थी 1 राण तिरषनै अपने सरदारों एवं प्रजा सहित बोद्ध धर्म स्वीकार किया था को-बोद्ध 1 सम्पदापकौ अनेक सुन्दर रब्रारते' बनवायी यों है । द्रनमैं पृपाराब्रके भानस्यशेमृशसे हाँडात्र दोआरा। है फि ये र्थएमारतेट्रै कितनी मुखर बनी होगी । यह सुरक्षित थी । स्तकेषाष्ट हो उसी राजा की दध- वाणी "त्स्सारा मुनि बिहार' नामक एक दूसरी श्यासा है, जिसका भी अब केबल खण्डहर ही अवशेष है । इसके पास भी एफ छोटा सा तालाब है । दृश्यों अतिरिक्त ग्रहाँकी अन्य रमारतें नष्ट हो गमी हैं । जिस पोयि पृक्षक्षों चर्चा ऊपरकौ गयौ है वह २२०० बर्ष पुराना बतलाया जाता है जो अभी भी एरा भरा है । गयाकै मूड बोधि पृक्षकी रफशाषा सचाट ब्रणेकों राजा तिस्लकौ भे९टये दो भी । जिसे उसने वहाँ लेजाकर रूगायापा है राजा दिल्लगी रोके अनन्तर शामिल लोगों में इसपर अपनाअबिफार जमाया पर प्राय: एक समाणी बाद वे पुना द्वरा दिये गये ओर दुरूप- गाभिनि अभय नामक राजाने ऱखषा …फि१ अधिकार जब्रा लिया । सिलोनकै द्दतिदासम इस बाजारी ग्रद्भुत्त महत्य दिया गया है । इसने अनेक इमारते' षनधाग्रपै थीं जिनमें माँसेका रग्नमत्ल सबसे पत्थर है । यह डेढ़ सौ फीट ऊँचा था । एसके यनधानेमैं उन दिनों तीस खास रुपये खर्च द्वार थे । दृस राजाकी दुसरी 'दागषा' नामक श्या- स्त है जो सुनहली पातृनुती है जिसने पफ करोड़ रुपयेकै लगभग खर्च हुए थे । बौद्ध लोग इहै आ। भी आदाकौ दृष्टिते देखते हैं 1 इसका ऊँधारै १२प्राफीट है । पाली भापामैं इसे महामृस्म कहते है है महावंश नामक मंथकै षमैंव प्रफरणोंमैं दृखशा बिस्तुव्र कोन दिया मुभा है । अनुणघपुरके पतिदासमैं कुछ छोटे यहै उपइनोंकै बाद प्राय: रासि भी रहीं । हँसाते १८९ वर्ष पूर्व त्तामिण सोगी गै एक बार इसे अपने अधिकारों कर लिया था । इस समय यहाँ के है सिंहली ज्ञातोपै भाग गये थे, पर उसके सो पर्व बाद बिरुली लोगोंकै नेवा धहगाथिमीने इसपर चढाई फर तामिल तोगौको पुनंदृ निकाल ८४३३३ किया । इसी विजयकै रुमारक स्वरुप अब्रयगिरि हाशश जामफ पफ षड़ा स्तुप बनवाया गया जो चार सौ फीट ऊँचा था । रसा। भी भप्रावशेष ही श्व रटा है है इसके निकट ही हुँशणअब्रय राजागे जैन बुनिपौके रदृवैकै लिये एक विहार षनधाया था । श्च सुन्दर रागरनोंसै डादृणर्दपृदृ का सौन्दर्य ओएभो अधिक गड़ गया था । इसके अनन्तर भी कई इमारते गनों थीं निनमैं जीयो इमारत स्तट्ठाके आफारकी सत्तर फीट ऊश्दी है । ३० णाश्ली की "जैतक्य आराम’ नामक श्यारतं अमी तक वर्तमान है ।