पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२६५

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केलोरीकी कमी हमारे शरीर में न होने की लिये ठीक ठीक श्रन्न ग्रहण करना आवश्यक है। भोजन में कमी होने पर कीटाखुश्रों को ही अपने प्राप्त देकर इसकी पूरती करनी पडती है। फल स्वरूप मनुष्य दिन प्रतिदिन दीरा काई तथा दुभ्रल हो जाता है। भोजन निश्रित करने में नीचे दी हुई तलिका से केलोरी संबदी ज्ञान वा श्रवश्य प्रास होजावेगा किन्तु यह प्रत्येक मनुष्य के स्वास्थय तथा प्राचन शक्ती पर निभ्र हैकि वह किन चस्तुशोका प्रमागमे व्यवहार करके श्रावश्यकीय केलोरी की शरीर के श्रन्दर प्रविष्ट करा सके- नाम श्रन्न केलोरी (श्राद लेर में) गाय का दूध मनुष्य का दूध बकरी का दूध भेडी का दूध मैस का दूध दह्दी का दूध चबीर का दूध मछली का तेल नारियल तीसी सरसौं खस्सी का मास कबूतर का उवाला हुश्रा चावल दाल सूजी मुट्टा सफेद चीनी गुड साबुदाना ईक नारिकेल श्रनार सफतालु श्रत्रास लीची श्राम श्रमरूद सेब फेला संतरा खट्टा नीवु श्रंगूर पियाज़ मूली सूत मूली बीट गाजर शलजम बन्द गोभी फूल खीरा कुरस सलाद पालक विलायती वेंगन सेम आलु बादाम खजूर अंजीर मुरब्बे चाकलेट श्राटा रोटी मधु श्रंडा संदेश मिठाई केलोरी के श्रतिरित्क शरीर में एसे पदार्थों का प्रवेश करना आवश्यक है जिनसे हमारे शरीर के मित्र मित्र श्रवयवों की पुष्टी हो तथा जो हमारे मानसिक तथा शारीरिक बुद्धी में सहायक हो सके। जिन पदार्थों से मनुष्य का शरीर बना है उनमें से किसी भी मुख्य पदार्थ की कमी हो जाने से मनुष्य श्रस्वसथ्य होने लगता है। श्रतः उपरोक्त कहे हुए पाँच पदार्थों का प्रोटीन चबी इत्यादी आवश्यकतानुसार शरीर में पहूँचना भी अत्यन्थ अनिवार्य है। उपरोक्त तलिकामें जिन श्रत्रोंंके नाम दिये हुए है उनमें अधिकाँश ऐले है जिनमे कुछ न कुछ श्रँशोंमें प्रौटीन विटामीन इत्यादी श्रवश्य वर्तमान है किन्तु किस वस्तु में क्या किस पर्मागमें है इसका ज्ञान भी होना नितांत आवश्यक है।