पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२७६

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रही १ किसी २ कै मतानुसार वाघेलोने ११९६- हैं १३२२ ई० ठक राज्य किया । श्ली धीच मूख- हेष, बिसलदेव, भीमदैध, अर्जुनदेव. सारंगदेज्ञा 1 ओर करुण नम्मकै ६ राजा हुए । १२९७ ईदृ में अलाउद्दीन कें सेनापति अलफबाँने करणकों ३ पराजित किया, जिस पर वह देत्रगढ़के राजा 1 रामदेषभी शरणमै हाँया । पर दुर्भान्यने पोछा न छोडा 1 मृस्सानने उसकी खी द्देवलरानीकों ८ थफजु कर हाशमैं रख सिया और शामे उसकी ३ पुत्रीकों भी पकड़ना मैगाया ओर अपने पुत्रका शु प्याह उससे कर दिया । हुँ बायेखवंम्नठकैअन्होंनी-यद्द गयि दुशंगापाद जिणेमैं है, यहाँ पर एक गरभ पानीका झस्ना है । यह ३ झरना महादेव पहाद्भकै ठीक उत्तरमैं है । इस दृ पहाड़से घेनबा तथा नर्मदा नवी अरूप अलग दृ होकर महती दुई गईहैं । इस गरम पानीले शरीर पाके फीडे तथा स्वचाके रोग अच्छे होते है । इसी कारण यहाँ एक मेला लगता है । स्व 1 माँचके आग्नेय दिशाकौ ओर १६ मीलफी दूरी पर एक दूसरा गरम पागीका झरना है । इसका नाम भडास भीख है । इसका पानी रतना गरम है कि इसमे हाथ आत्मा भी मुस्मिल दोसा है गृ ८१० गें० १८७० पु० ४हैं इसका विकास अधिक हेंस पड़ता है । किसी भी 1 कृत्यकों 'अपदृज्जय' कै शीर्पकके नोचे आंनेके लिये केवल यहीं आवश्यक नहीं हैं. कि कैक्ल किसी नियमका उड्सधंन फियाअया हो, किन्तु यह भी 1 नितान्त आवश्यक हैं कि किसी भी व्यकि-बिशेप 1 को अपनी व्यक्तिगत हामिकै सिये न्यायातयकै हूँ सम्मुख वादी बनकर आनेका अधिकार भी प्राप्त 1 हो । यदि किसी व्यक्तिफी ऐसी हानि नहीं ३१ ३ है भो उसके व्यकिंत्वसे सात्रन्ध रखती है किंतु ८ कार्यकर्ता नियमानुसार दण्डभागी हो भी सकता हुँ है नौ मी वह "अपकृत्य' नहीं क्लत्तडयेगा । यमुथा दु आर्थिक दण्ड से हीं अपकृत्यका अं सभ्य राष्ट्रकै प्रत्येक भनुग्यकौ यह अधिकार होता है कि वह अपने शरीर, संपत्ति तथा सम्मान है की रक्षा करें दृ उसका यह भी फर्देव्य होता है कि वह अपने उन कार्योंकौ अत्यन्त सानधानीसे करें, जिनसे द्रुसरोंफौ क्रिसीभी प्रकारफी दानि पहुँचने दृ । की संभावना हैं। । यदि किसीने जानबूझ कर भ ; अथवा फ्लो किसीको हानि पहुंचाई, तो श्न उसेन्यायालयर्में अपने कार्यके ओपित्पका समर्थन द्ध करना पड़ता है ओर यदि न कर सका तो एंड कं भोगना पड़ता है । ऐसे समय यह प्रश्न नहीं कं उठतांफि उसका अपराध किस नियमकै अनु- ८ 1 सार सिद्ध होता है । आकाय विधानका सयसे ऊँ अधिक उपयोग खामी ( मुराशांणाटा) परन्तु 1 खामी अपने कर्मचारियों: कायोंका उत्तरदायी हू उसी समय तक रहता है, जप तक यह उसका, है, उसकी आज्ञानुसार कार्य करता है । इससे एक लाभ यह मुआ हैफिआ प्रत्येक व्यक्ति क्षति पहुँचाने बाले कर्मचारी: खाभीको प्रतिवादी बना सकता है, परन्तु यदि एकही कायखियकै एक कप्रेचागोको वृच२से क्षति पहुँचती है तो उसके सिये खामी उत्तरदायी नहीं होता, यदि वह क्षति किसी ऐसे कारणये नहीं हाँ, जिहूँप्तका सम्पन्ध