पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२७७

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स्वामीसे या । पहले यह नियम दोषपूर्ण था, जिसका सुधार १८८० ई० में 'हृवामीकै उत्तर- डायिरेंघका विधान' ( Employer's liability act) तथा१९८६ई० में "मजदूरों-का मिलने वाले हर' जानेका विधान" (Workman's compensation act) द्वारा दुया । क्त सध कान्नोंसे कुछ ऐसी परिस्थिति उत्पश हीं गयी है कि बीमे को प्रथाकों बाध्य होकर कामये लाना पड़ता है प्रत्येक मनुष्यसों तथा विशेष रूपसे रुपामियौ- कों, अपना मकान इत्यादि इस दशामे रखना चाहिये और प्रतिधादीके रष्टिफीणसे विचार करते समय धादीका भी प्यान रखना आवश्यक है । यदि प्रसिशदीकी ओरसे उसपर विचार करं तो हम इस सिद्धान्त पर पहुँचते हैं कि प्रत्येक मनुष्य अपने कार्यकी स्वाभाविक तथा संभवनीय परि- णामका उत्तरदायी है । यदि किसी व्यक्रिको पहिलेस अपने कार्योंका परिणाम मालुम होता हैं, तप तो वह ओर अधिक उत्तरदायी समझा जाता है । कुछ बिशेष प्रकारके व्यवद्वारौकी उपयुक्तता अथवा अनुपयुक्तता पर बिचार क्ररनेकेलिये उत्तरदायित्व स्वीकार कर लेताहै अथवा वह सिद्ध हो जाता है तो हरजावेके धनका निश्चय फरदे समय उसके भीतरी उद्देश्य पर विचार किया डाटा है, यदि अन्तर्गत उद्देश्य तुरा है तो हरजाने- का परिमाण अधिक होता है । ऐसे समय दादी तथा प्रतिवापीकै व्यवहारों पर भी प्यान रमण जाता है किंतु देशके उचित प्रधन्ध तथा न्यायके सिये यह भी अत्यंत आवश्यक है कि कुछ ऐसे छायी- की भी गणना इस अंणीमें नहीं करना चाहिये ऐसे समय जिस स्थिति विशेधये वे कार्य किया गया है उसपर: भी ध्यान देना अनिवार्य है । यदि प्रतिधादीकें व्यापारिक प्रटियोंगिताके विषयमें, जिसके कारण क्तिने व्यापारी हब जाते हैं, ओर दूसरे करोडीके स्वामी हीं जाते हैं, संयुक्तराज्य अमे- रिका ( United States Of America ) कै सुप्रीम कोर्टके म्पायाधीश श्री होम्सने कहा हैं कि प्रत्येक ज्यक्तिकौ व्यापारिक प्रतियोगिताका पृण अधिकार है । ऐसा अधिकार केमल व्यापार संचालनमै ही नहीं प्राप्त हट्टेता, यांहृक यह निश्चय करते समय भी प्राप्त दोना हैं किं किसके साथ तथा फिच परि' रिथतिर्मे हमें प्रतियोगिता करगी चाहिये ५ यदि कोई मनुष्य अपने को सुखी करनेके सिये सर्वसा- धारणकै आँधकारीकाउपयोगकरता है तथा वादीकै ब्र१९कोर1से बिचार करते समय अप- कृरुयोंफा चार प्रकारसेवर्गीफरण किया शासस्ता है । कुछ अपव्यय व्यक्तिगत होते हैं । इसमें मारी- दिक चौडा मकानि, टयर्थका प्ररितबब (False imprisonment ), फुसलाकर फुदृम्बकै किसी