पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

नेता 'वेलायुस' थे|ये लोग लोहे के शास्थ्रो तथा चौकोनी ढालोंका उपयोग करते थे| इनका 20 गावोंका एक संघ था| मालुम होता है कि इन्होंने ये संघ अपने वचाव के लिए स्थापित किये थे|इन लोगोंमें एकता का दूसरा कारण था जुइसकी पूजा|लगभग ईसाके 200 वर्ष पूर्व इन लोगोंका महत्व बहुत बढ़ गया था| इनका राजा राजनैतिक सलाहकार श्रारेटस था| श्रारेटस के समयमे इनके अधिकार में बहुत से गाँव थे|

इनके केंद्रीयशासन संस्थामे लोकमतकी प्रबलता थी| सालमें इस संस्थाके तीन अदिवेशन होते थे|इन्हीमे कानून वगैराह पास किये जाते थे| इस शासन सभाके अंतर्गत 120 सदस्योंको एक सहायक मण्डल था| इस मण्डल के हाथमें मुक्य संस्थाका कार्य क्रम निश्चित करना, शहर के जगडोका निर्णय करना, आदि 2 काम थे| मुक्य अधिकारीके पदको 'स्ट्रेटोजिया'कहते थे| इस अधिकारीको किसी भी योजना के अंतिम निर्णयका अधिकार था|

इस मॉडलमें एक बड़ी कमी यह थी,कि वह सैनीक विभागको सुव्ववस्थित राख्न रखना नहीं जानता था| अप्राधिओंको दण्ड देंनेकी व्यस्था भी इस संस्थाके द्वारा नहीं की गई थी|रोमन लोगोंने इन संघोंको नष्ट कर दिया|

श्रकियाब-जिला|लोश्रर ब्रहादेशके श्राराकान विभागका एक जिला|इसका क्षेत्रफल वर्ग मिल है| उत्तरमें चटगांव जिला और उत्तर श्राराकान है| पूर्व में उत्तर श्राराकान और श्राराकान योभा|दक्षिण और पश्चिम में बगाल की खाड़ी है|

बंगाल की खाड़ी और श्रागकानयोमाके बीचका प्रदेश चौरस है| लेजो नदी के पूर्वका प्रदेश पहाड़ी है| ऊपर की भूमि अथार्त् ब्रहादेश और इस जिले के मद्य पहाड़ी रास्ते हे| परंतु वे अत्यन्त दुर्गम है| इसलिए कोई उनका उपयोग नहिं करता| उत्तरका प्रदेश भी पहाड़ी है| इस भागमे तीन मुक्य नदियां हैं| मयूकलहन और लेम्रो,उत्तगसे दक्षिण की ओर बहती हैं|शल्स सैणड स्टोंस नामक बालुके पत्थरोंसे यह प्रदेश भग है| यहाँ हाथी, बाघ,वारह सिंहा, बनैला सूक्षर इत्यादि जंगली जानवर पाये जाते हैं| समुद्रके समीप होनेके कारण हवा समशीनोष्ण है| यहाँका जाड़ा बहुत ही आनंददायक होता है| ववडरसे इस भाग को यागम्बार बहुत नुक्सान पहुँचता है|

इतिहास- यह भाग पुर्वी श्रागकान जिलेमें माना जाता था| इसलिये इसका इतिहास श्रागकान जिलेके इतिहास में दिया गया है|(देखिये श्रागकान) 1026 ई में वर्मा युद्ध समाप्त होते ही श्रागकान के साथ यह जिला अंग्रेजी अधिकार में आया| महा मुनिमे एक मंदिर है जिसमे गौतम मुनिकी मूर्ति टीथी परंतु में जब कि वमियोने इस भागको जीत लिया तो यह मूर्ति अमरपुर ले जाई गई और वही स्थापित की गई| आज कल वह मुनि मंडालेके श्रागकान देवालषमें हैं| जिलेकी जनसंख्या करीब पांच लाख तीस हजार है|