पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२९२

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अन्न के समास होनेपर जननपेशी उत्पन्न करके रखती है। दूसरि एक जातिका कुछ विशिष्ट सुधम जन्तु है। इस प्रकारके सुदम जन्तु इस जाति के साथ सर्वदा मिलते हैं।

 (५)पीत पाणकेश (Peridineae)-ये वनस्पतियाँ एक पेशीमय होती है । और पुच्छविशिष्ट (flagellata )सहश होती है। ये मीठे पानिमें भी मिलते हैं किन्दु खासकर समुद्र्में बहुत होती हैं।
  इनमें दो तन्तु होते हैं । जीवद्र्व्य जडस्थान

तथा केन्द्र प्रत्येक पेशीमें होता हैं । किसी २ में चौडे पखों के सहश फैले हुए अवयव होते हैं। इनके कारण ये पानी में तैर सकते हैं। कुछ जातियोँमें रंजित द्र्व्य होते हैं। ये जातियां परान्न भक्षक होती हैं और उनमें से कुछ का आयुध्य क्रम बिलकुल प्राणियोंके सहश होता है। कुछ समुद्र में उत्पादन पेशी भी उत्पन्न होती हैं।

  (६)संयोगी पाणकेश (Caniugataae) इस जाती की वनस्पतियाँ हरी होती हैं, और मीठे पानी में मिलती हैं । ये एकपेशीमय या तन्तु सरीखी होती हैं। इनका उत्पादन वानस्पातिक रीति से पेशी विभाग होकर एक पेशिसे दो पेशियाँ होती

हैं और ये स्वतन्त्ररूप मे रहने लगती हैं।योगसंउत्पादन में दो पेशियोँमे के लिगोंका संयोग होकर उनसे एक जनन पेशी उत्पन्न होती है और उससे नयी वनस्पति तैयार होती है ।

 एक पेशीमय जातिमें की डेस्मिड नामकी वनस्पतियाँ मीठे पानीमें सर्व मिलती हैं । ये 

अनेक प्रकार की होती हैं तथा बहुत सुन्दर होती हैं। कुछ गोल होती हैं कुछ एसी होती हैं कि मानो दो अर्घवृत एक स्थानपर चिपकी हुई हों तो कुछ नक्षत्रोंके सहेश त कुछ चन्द्रकला के सहेश आकर में दिखाई पडती है। ये पेशीयाँ स्वतंत्र रह सकती हैं या कई एक पेशीयों के एक में मिलने से उनकी एक पंत्कि सो दिखाई पडती है। प्र्त्येक पेशी दो बराबर २ भागकी होती है और वे भाग मध्य भागमें चिपके हुए से मालूम पडते हैं । प्रत्येक आधे भागमें एक या अधिक ह्ररिद्रव्य के पट्टे होते हैं उसीमें कुछ पिरनाईडके कण भी होते हैं। दोनों अर्ध भागोँके जोडपर मध्यभागमें केन्द्र होता है।कई एकके पेशी की समान होती हैं।कुछ पेशियोँमें दो अर्ध भागोंका जोड मालुम नहीं पडतां।