पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/३२२

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अफगानिस्तान बीनकौश ( अ है २९९ अफगानिस्तान प-ई-परे को अफगानी ही कलई ।८यतेप३यकउ८"केंसव्यम्द्ध:तेशे२म्६न३एकेंर किन्तु यह जआल्लेफके वंशज मालम होते है । ( :77:7:7:/4 है९४१९णु"/, बरी धीरे इनकी सख्या पथ जव गई है है" । वय कां 'बज रह: होग' । अब भी ऐसे शताबके आरम्भ-ई जब पडजाव ई-न जीत ।द८८ तथा अवशेष प्राप्त जाते है जो औक उम तो थे भी उनके वश., आ गये । ससे अथक: प्रमाण है है इनके देब भी यक उधार रम 1 अब ये सोम ईकाके समय: बभश कुशन संदेय (पण अश१ई तसे हैं । । निवासी इन्हें इसगोधियनके मामले प्रकाशते थे) 'अजर जाधिके (नयन अनेक कबवनार्य हिचशके पहिए उब अपना रहब जैल-सिया र 1 एबीस-के मलाई यह अपन था : इ-, की सजा बोतल अफगानिस्तान जाया है किन्तु आजम आयत ताश । ही-मइं-धी, भार-प्रिय-ध इसे.: उनमें बडा ममदेख यजासाहै ( अफगारिर्थ४क इनका प्रमुख था 1 चाहे भार-डि, शासन मतब": ये ४९श जातिके हैं । बहुल सम्भव । क्या अधिकार इन 'लर बसंत कभी भी है कि प्याले चाह ये बोद्ध धम-लम्बी रहे हो : न रब हो किन्तु प्यार तो नि-य है कि बोडशर्श चाहे अरि-, (क-अन तो थे अपनेको तद्यासम्ण्ड1का यहाँ किसी खययपल विकास यमन ही कम' ९ । इच समय इनकी गणना । रहा होगा । जलालाबाद, देशज: सधा काय बसम तव जगह जातिके बल ही की जाती । असम आज दिन भी ऐसे अनेक प्रमाण जिन हैं है आज कल इनकी अनेक उप-जातियाँ देख हैं जिससे स्वर विशन कोई भी सरक-स्थान पडसौत्: उपवास कीब रत ब

रन हु अंत है ।

बनि-ब-' अपने को बाब-ममा- रख मत (समा-के वंशज' कहते हैं । भार बादशाह ( जिसे यह साब कहते थे ) की थे अपना उब मानते है : आगे चलकर इसी राजा का बजाज 'अफगान था जिससे इनके आधुनिक नम उम हुई : इसके विख्यात पैगम्बर मु-के धर्म-के नय हो वर्ष उसके लेवचमैं इ-शिन का एक पल मल मैंजाशया है इस (तके-लेवर औरे र मने इसम चम दीक्षा ग्रहण की । आधुनिक अफगानी कैस तथा उसके बीम पुलों ही से अपना अबध जोन हैं 1 इस-थाका क्यों, देशकी अनेक यन मिलता है । सबसे पुरानी पुस्तक" रस से को मिलती है धर सजल श-की है है जिद आमने लिखा है कि बादशाह मिशन इन कोगौके यल आकर आधुनिक अमल पर्वत यर स्वयं बसर था है फल नामक यब इतिहासकार का मस है कि बरामद लिके मम छोगौसे अफगानोन उत्पन्न, उई । देय: कथन है कि वि जिसका पिता विम को कभी समय पहले

8, बह जज-: उभर अफगान भाई भार थे 1

ईब' शिर, वर्ष पर्व सेख-ने अन्द-का ष्टिन्धुनदके यभिमका कुछ भाग बके कढाई दिया था । इस मन भारअर्षके ही कोम बस हुम थे है यह काय अरेबी तक देखा हुआ था । यभम खाम वर्ष जाग इन 'मतत्पर मील का जिर यब देख पकता है है इस (षे-ममय: कुश जात र९जाता : समयके खाद्य साथ इन प्रदेशीय भी बर्थ । उके अनेक आक्रमण द्वार 1 इन सन प्रत्यय । कनिष्क ही इब है है यह भी २साके समय लपका हो है । इसका राज्य भार-ब उब जैल' हुआ व । इन हल ६०० बर्ष बार अम रम आकी अब-म जि-तार-क किया थे । इसकी ख्याति अय-नी नामक साय मुसलमान भूगोल, शशि-नी तथा यस ११०० ई० मैं अपन लकी वर्णन अभी । संब पृम-लके समय (६३०-६४४ई० ) जब उसके उब गोभी बादल: काय हिप बम तुर्क दोभीहीका च देख पकता है । उस शताब्दोंके अरक काय हिभूशहुज्य ही का ग्रमथ मिलता जो । उसी समय बल नामक तुमने काय, जीता शत । रखने गय अपनी अम्ल नियत की है गजब, बन्दी बक उसीके वंशज रव करते रहे है इनके समय जायज-गणना संजय मुख्य गोल को । जाती थी है बका व, है कि ये अमन थे ।

यहि शह सच है तो कह सकते हैं कि थे पहले

[ बादशाह. जिनको अफगान कह ससे है किन्तु कुछ इविअकारीका मह है कि ये व'" वंशके मैं है इसके बाद यह-चिंग स पड़ता है है इसने तो भाभी-पर भी अनेक आक्रमण किये । कुछ समय तक अफगानिस्तान खारिज" बोदश्वहकाअधिकार था हूँ रची धमाके जब-