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अफगानिस्तान ज्ञानकोश ( अ ) ३०१ अफगानिस्तान

ति न चच उ-बस-चब-बब.------ है--- आर-कथक-ति-बब

मैं एकम होकर सरन कौन ( 51](12 । 1९भा10 ) के सेनापति-में बोम वहि आन । बहा : मन कोठेजाईको अनेक पकी किन्तु । सर कोई भी न आया 1 कम्दहारका शासक छोशनकी अईरान भागवत । १द्ध३म ई० के । अप्रैल मय वह नगर जोश लियागया और श-मवने राज-, पंत गई । उली बल २१ ब्रलाईको आनी परस करके वह भी । जीत लिवा गया 1 दोस्त मु-की रोना जर मिसिर हो गई और बह निराश होकर हित कुश र यकीन ओर भाग मय' । कौन गोई) बहुत । सेना शजाकी सहर्ष लिये छोड़कर भारत 1 होर आम । आगामी दो बर्ष.: शाह शम । काबुल और कन्दहार यरशासन करना रहा । अब आच-की अल जिन तक और सेलि- बके गोलों मु-न त-अ-य कया होगया था । अन्" राय है, के नबमरमैं दोस्त धहमख भी अंप्रैऔकी शरन आगया और वह मम वै" दिया गया । यहाँ इसके । आश ऋ" अच्छा सबल किया गया । इन मय । अमले देशम: अशक्तिके बीज पर जूझे थे 1 किन्तु उस ओर शम, समुचित ध्यान नहीं यर है फम: १८४१ ई० की दूसरी नवम्बर को काय भयंकर विल अनि सक उठी: : वय तथा अव अंग्रेज अफसर मार उई गये है : उब लोगोकी च-नी नाश कर पंत गयी-, रब अथवा समाचार आने जानेका कोई उपाय नहीं छोर । इ-वाइन कोगोकी अवस्था मयम, ३८१/, हो हैंई८ उसी खाल-लि: २३ ।१९९ई दोस्तबद श तथा अफगान नाक अधिक, ९८११कर्श: पक विभा समभीशेके लिये की जि" उसने सर डल मैं-नकी अपने यहि मार डाला । मन ले जनवरी १८४२ ई० मैं एक समय आभार पर अंग्रेजी सेना अप९गानिस्तलहे बाब होने १वपूशने । उस समय बहीं सीध सहीं: रहीं: माननी बी-थर । ऊपर अग्रेजी सेना परब निवारिस्वीका आक्रमण होता था उससे इन छोगोको बम हलि होती थी : सब कटि-पय] कोस करते तुले इनसे बचे हुए थहिड़ेसे अंग्रेज जल-म एकम-: हो-दना-जरे श्री बह भी मम समर्पण करनेके ताकते १० दिस- मरकी जाने की गई : इतना सब होने चू: भी जनरल अड कदम पर अधिकार किये-, रहे । इधर कब: आकर उखालन्यार मैं अबब जनरल लेलके आयन बजी बोरतासे भी रहीं । इन सबका प्रतिकार करनेके लिये भार-: अजी सावाशनीसे तय:" हो यही थी है अमल १८४२ ई० १६बी अप्रेल, लेबर बोर-से होते हुए अरजन ललक जजावाबाप पल है २० बी" अगस्त तक बहीं शेरा जाले रहे है बर सेना सहित आगे उड़ते भी १४बी ष्टिखम्बरको काहिल पकने । इसी समय गजनीको विजय करके नहिं साहब उनसे काय आ मिले : अंजिअन्दी मुबकियेगए । अबअफगानिस्ता८ एक बार किए अ४भिके हमर आ उका था : अंयसेग्यके आरोही 1१ण्डशज्ञाकी अया कर जान गणी । अस: एक बार फिर काम पर शेबमयदका शासन-म । अ-: यर बनाया गया, किन्तु १८४८ है० मैं कहि उसकी मृत्यु हो गई । दोबयमश १८६३ है. तक राज्य करता रहा । अय उसकी भी यर हो गई । शेस्तमु९म्मको अपने यस-लई अनेक प्रान्त जीते । जिस समय भर शेयर अं-हि लब कर रहा था उस समय ( २१ फरवरी (मामी हो ) यह अटक यर बरात प्रेउयहिथत था । सर बसम रेशे निलवर्टने य२गानोका बम सापरवसे पीक किया । दोस्त मु९म्मको जान बजा यस बची । यह एक बसंत आगामी बोये पर सबल होकर भाग निकर । चर लप ० ई० मैं अफगान ने कब पर सिरे विजय पाई : अब उलझा इनसे फिरसे मिप्रताका नाता जोद्वागपाओर १८४४ई०मैंषेशसे पक सां-चपर शिखा गया है इसी समर नवम्बर मास', इसके माई कोयल बह का देहान्त हो गया था । अब करम: यमन भी इसीके छूम आ गया : हैरत पर ईलयने बजा कर यश था । अ' १८६ने ई० मैं उसने उस यर आस किया और दस मास तक प्रेरताजाखे पर रहा । अय इसको विम हो, किन्तु इसके तेरह दिन अरबी सभी परम; गामी म है होकर अबकी उसके पआद रसम पुर शेर-तन गरी पर बैठ, । शेखर ( अपने भाइयों तथा बने बराबर लड़ते वना यम । १८६७ भी मैं तो इसकी यह दमा' हो गई थीकिबोवल कल और देरषषशही इसका अन रह गया था है बाकी सम्पूर्ण राज्य इसके ( च