पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/३३३

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रहती हैं। यधपि अब तो अनेक सुविधायें की आ रही हैं किन्तु पहले धनकी कमी तथा एक स्थानसे दुसरे स्थान पर फोज लेजानेके साधनोंका अभाव बडा कष्ट्कर होता था। अब्दुलरहमान कहा करता था कि एक सत्पाहके अन्दर एक लाख सैनिक तय्यार हो सकते हैं किन्तु किसी एक स्थान पर उन्हें एकत्रित करना कठिन है। १५९६ ई में उसने नियम बना दिया था कि १५ वर्ष से ७० वर्ष तककि अवस्थावालों में से आठ मनुष्यों पीछे एक मनुष्यको सेनामें भर्ति होना अनिवार्य है। काबुलमे अब तो अनेक अखागार खुल गये है। गोला ,बारुद ,कारतुस ,इत्यादि सभी बनने लगे हैं।यहाँ पर हेरात तथा देहडाडीमे मुख्य तथा द्द्ध किले बने हुए हैं। इस किलेकी मुख्य् छावनी बल्खसे १२ मील मजारश रीफमें है।

     दराडका विधान अब भी यहाँ देशों से बहुत अभिक कठोर है। पुलिस विभाग भी अब सुचारु रुपसे कार्य कर रहा है। हरेक नागर में एक कोतवाल रहता है। उसीके आधीन पुलिस रहती है। नगरकी रजा तथा शान्ति रखनेका भार उसोपर रहता है।
      शिजाको यहाँ बडा अभाव है। आधुनिक समयमें तो इस ओर बहुत ध्यान दिया जा रहा है। स्त्रीशिजा तो नाम मात्रको ही है । शिजा का भार बहुधा मुल्लाओं पर ही था। शिजा केवल प्राथमिक ही होकर रह जाती थी । अगर बोध तथा थोडी बहुत गणितके अतिरित यहाँ बिल्कुल अभाव था। कुरानका प्रचार पर्याप्त था किन्तु यह भी केवल रटाया जाता था। यहाँके मनुष्योको शारिरीक मानसिक तथा सामाजिक विकासका बिल्कुल ही अवसर नहीं प्राप्त होता था। देशमें अजना तथा अन्धकार फैला हुआ थ। वुध्दिविकास  तथा विजान से थे लोग बिल्कुल अनभिश थे। किन्तु अमानुल्लाखाँ के समयसे इस ओर विशेष ध्यान दिया जारहा है। स्थान स्थान पर अब उखशिजाका प्र्बन्ध किया जा रहा है। हरेक प्र्कारकी विधाका प्रचार धीरे धीरे बाड रहा है। नादिरस्त्राँका भी इस ओर पुण ध्यान था।
                त्राधुनिहक नवयुवक अमीर्से भी देश्में अनेक सुधारो तथा विधा प्र्चारकी पूण आशा की जानती है।
            [संदर्भ भ्ंभ -इंपीरियल गजितीयर आँफ इंडिया अफगानिस्तान ओर नेपाल १९०८; अकाउँटस रिलेटिंग दु दि दू बाइ लोरड आँफ दि ब्रिटिश इंडिया विथ फाँरेन क्ंतीजा एनुयल कलकनता -पालियामेगटरी पेपर्स अफगानिस्तान  २८७३-१८९९, दुडा बिटवीन दी