पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/३४३

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अफरिकेनस जूलियस ज्ञानकोश (अ) ३१६ अफसर अफ्रीकामें हुआ था किन्तु दूसरे पक्ष का कथन है सम्बन्धी पुस्तके भी लिखी है उनका कथन है कि कि यह उत्पन्न तो पलेस्ताइन में हुआ था किन्तु धार्मिक क्षेत्रमें पदार्पण करनेके बहुत पूर्व इसने इसके माता पिता अफ्रीका के निवासी थे। इसके वे सब पुस्तकें लिख डाली थीं। व्यक्तिगत विषयमें तो विशेष ज्ञान नहीं प्राप्त हो । अफलातून-यूनान को यह एक प्रसिद्ध सका है; केवल इतना पता लगता है कि यह तत्वज्ञानी होगया है । विशेष व्यौरेके लिये 'प्लेटो' एमाँस नगरमें रहता था । एमाँस नगर उजड़ के अन्तर्गत लेख देखिये । गया था। उसी को बसानेके लिये यह शाहनशाह अफसर-इस गाँवका दूसरा नाम जफूरपुर हेलियोगेवलसके पास गया था। शाहनशाहने है। यह विहारके गया जिलेमें नवडामुओं विभाग इसकी प्रार्थना स्वीकार करली । उसीके बाद में एक छोटा सा देहात है। यह उत्तर अक्षांश निकोपोलिस नामसे इन नगर की फिरसे उन्नति २५४ और पूर्व रेखांश ८५°४०' में स्थित है। यहाँ हुई । इस विषयमें निश्चय पूर्वक कुछ भी नहीं की जनसंख्या एक हजारसे अधिक है। यहाँ पर कहा जा सकता कि इसका धार्मिक संस्थानोसे गुप्त राजाओंके समयके अवशेष मिलते रहे हैं। भी कुछ सम्बन्ध था या नहीं। उसने संसारका यहाँ वाराह अवतारकी एक विष्णुकी मूर्ति मिली एक इतिहास लिखा है। उसने जबसे संसारकी है। यह धातुकी बनी हुई है और उस कालकी उत्पति हुई उस समयसे लेकर २२१ ई० तकका उत्तम कारीगरीका एक अच्छा उदाहरण है। यहाँ इतिहास लिखा है। उसके बिचारसे उस समय पर एक शिलालेख मिला था जिसमें गुप्त राजाओं तक संसारको उत्पति हुए ५७२३ ही वर्ष हुए थे। | का वर्णन है। इसी भाँति गुप्तराजाओंके समय अभाग्यवश उसका लिखा हुआ इतिहास अब का जमीनमें गड़ा हुआ एक मंदिर भी मिला है । पूरा पूरा नहीं देख पड़ता किन्तु तो भी उसका प्राचीन अवशेष होनेकी दृष्टि से इसको बड़ा कुछ कुछ अंश अन्य अनेक लेखोंमें पाया जाता महत्व दिया जा सकता है। कारीगरीकी दृष्टि है। कुछका कथन है कि इसने और भी विज्ञान से तो इसकी गणना अत्यन्त उच्चकोटि में की जा कृषि, सेना इत्यादि सम्बन्धी अनेक पुस्तकें लिखी सकती है। यह बुद्धगयाके प्रसिद्ध मंदिरसे हैं किन्तु यदि यह सच है तो इसकी इन पुस्तकों कारीगरी तथा सुन्दरतामें टक्कर ले सकता है । तथा संसार के इतिहासमें विरोध देख पड़ता है। इस गाँवका प्राचीन अवशेषों के कारण ही इतना जिन लोगोंका यह मत है कि इसने अन्य विज्ञान महत्व है। (इ० ग०५) cav प्रथम खण्ड, UARY समाप्त Printed by Kashi Prasad Blurgava, at the Sulemani Press, Gaighut, Benures City.