पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/८८

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अचेस्ट का मग्न (Magnesium) खटीक (Calcium) से संयोग नहीं होता । उसी प्रकार प्राण, उज्जन और नत्रसे भी इसका संयोग नहीं होता वह किससे संयुक्त होता है यह देख ने के लिए अनेक प्रयोग किये गए है । अचेस्ट के साथ दूसरे तीन - सौरके अतिरिक्त - वायु वातावरण में रहते है उनकी खोज रमसे और एमo डब्ल्यूo ट्रेवर्सने किया है । उनके नाम नयोंन (निऑन) क्रिप्त (क्रिप्टॉन) और जेनॉन (जेन) है। इनको अचेतके सहचर भी कहते है । इन सब के धर्म अचेस्टके समान ही है । सर-विलियम रमसे का मत है की इन सब अचेस्ट सहचरों का एकत्र प्रमाण अचेस्टके ४०० से अधिक न होगा इन सब का भौतिक धर्म नीचे कोष्ठक रूप में दिया है

अनुक्रमांक भौतिकधर्म सौर (हेलियम) न्योन (नित्रान) अचेस्ट (ऑर्गन) क्रिप्त (क्रिप्टॉन) जेनॉन (जेन)
वक्रभवनत्व (रिफ्रकक्रिहिटी) हवा=१ .१२३५ .२३२५ .६६५ १.४४६ २.३६४
घनत्व (डेन्सिटी) ०=प्र=१६ १.६५ ६.६७ १६.६६ ४०.५५ ६४
उत्कथनांक ७६० मात्रा सहस्रांश - भार (मिलीमीटर) ६ श. सु. ऊ. मा (अत्रस्सो0 व ) ५६.६ मु.उ.मा १२१३०३ मु.उ.मा १६३.६मु.उ.मा
स्थित्यन्तक उष्णतापमान (क्रिटिकल टेम्प्रेचर) मु.उ.मा.६५० के नीचे १५५.६ मु.उ.मा २१०५० मु.उ.मा २५७.७ मु.उ.मा
स्थित्यन्तकभार(क्रिटिकल)प्रेशर ४०२ मात्रा ४१.२४ मात्र ४३.५ मात्र
एक मात्रा शतांश रसका भारांक i c,c liquid का वजन १.२११२ ग्र Gm २.१५५ग्र Gm ३.५२ ग्र Gm


आजकल रासायनिक मूल तत्व तथा वायु (Gases) प्रतेक प्रयोगशालामें मिलना सुलभ होने से अचेस्ट तथ्यार करने में कठिनाई नहीं पड़ती । नत्रकी अपेक्षा अचेस्ट में वास्प भाग कम परिमाण में होने से, वातावरण वायु के वाष्पमय होते ही अचेस्ट रासायनिक रूप में जम जाता है । इससे प्राणका प्रमाण तो बढ़ता है किन्तु प्रयोग में उससे कोई अड़चन नहीं पड़ती । रसरूप हवा से वाष्पमय होते समय भिन्न भिन्न स्थिति का पृथकरण नीचे दिया जाता है । इससे इसका बहुत कुछ ज्ञान स्पष्ट होजायेगा ।

अनुक्रमांक प्राण का प्रतिशत प्रमाण अचेस्ट का प्रतिशत प्रमाण नत्र के साथ अचेस्ट में अचेस्ट का प्रतिशत प्रमाण
३० १.३ १.६
४३ २.० ३५
६४ २.० ५.६
७५ २.१ ५.४
६० २.० २०.०
अचोली-अफ्रीकाके अल्बर्ट नियाज़ा नामक झीलके उत्तर में १०० मील पर नाइल नदी के किनारे रहने वाले नीग्रो लोगों को अचोली कहते है । इन लोगों में गालों और जांगों पर लहरियादार गुदने गुदवा कर अपना शरीर सुशोभित करने की प्रथा है । उनकी झोंपड़ियां गोल होती है और भीतर से कीचड़ से लिपि रहती है । ये लोग शिकार कर अपना पेट भरते है और युद्ध के समय ढाल और तलवारों का उपयोग करते है |