पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/९४

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अजन्ता ज्ञानकोश (अ) ८२ अजन्ता गुफा नं. १२-इसमें एक दालान तथा गुफा नं. २४-यह एक अधूरा ही बना हुआ १२ कोठरियाँ हैं। इसमें एक शिलालेख भी विहार है । इसमें जो खुदाईका काम किया गया है मिलता है। उससे प्रकट होता है कि यदि यह पूरा बन गया गुफा नं० १३-इसमें एक दालान तथा ७ होता तो यह बहुत ही अनुपम होता। कोठरियां हैं। इसमें कोई विशेषता नहीं है। गुफा नं० २५-यह एक छोटा सा विहार है। . गुफा नं. १४-यह नं० १३ के ऊपरकी ओर इसके एक ओर एक ही दालान है। है। इसमें भी कुछ खम्भे तथा एक दालान है। गुफा नं. २६-यह उन्नीसवी गुफाके समान इनके खम्भे दूसरी गुफाओंके खम्भोंसे भिन्न हैं। एक चैत्य है। इसमें खुदाई का काम बहुत ही ज़्यादातर इनमें चार कोनेके खम्भे हैं। अधिक है। इसमें दो शिलालेख है। इसमें मृत्यु ____ गुफा नं० १५-इस विहारमै आगेकी ओर एक शय्या पर पड़े हुए बुद्ध की एक भव्य मूर्ति है। दालान है जो चौकोर है। १० कोठरियाँ हैं और गुफा नं०६७-यह अधूरी ही रह गयी है। एक बुद्धकी मूर्ति भी है। गुफा नं० २८-- इसमें एक चैत्य का श्रारम्भ ___ गुफा नं०१६-इस विहारका शिल्प-कार्य बहुत किया हुआ देख पड़ता है किन्तु अधूग ही रह उच्च कोटि का है। इसमें की भव्य-बुद्ध-मूर्ति दर्श- | गया है। नीय है। १६ कोठरी इसमें है। इसके शिलालेखमै गुफा नं० २९.-- इसमें प्रवेश करनेका कोई मार्ग मध्यप्रान्तके विन्ध्यशक्ति श्रादि ६-७ वाकटक नहीं है इसको एक अोर से खोदकर एक विहार घरानेके राजाओं का उल्लेख है । इसमें बुद्ध चरि- का पता लगा है। त्रादिके १६ चित्र दिये हुए हैं। ___" भारतवर्ष की नकाशी तथा खुदाईके काम ___ गुफा नं० १७-यह एक विहार है और इसमें की हुई गुफाओका वर्णन" नामक फागुंसन एक शिलालेख है। उसमें अश्मक, धृतराष्ट, तथा बजेसकृत पुस्तकसे आगे दिया हुश्रा वर्णन उसका पुत्र हरिसांब, क्षितिपाल, उपेन्द्र गुप्त उद्धृत किया गया है [पृ० २८५] तथा उसके पुत्र स्काच इत्यादि अनेक राजाओंके | "यह गफायें ई० पू० की पहली शताब्दीसे ई० । नाम मिलते हैं। ऐसा.अनुमान किया जाता है की सातवीं शताब्दी तक बनाई गई थीं। उसमें कि यहीं के राजा होंगे। इसमें ६१ चित्र हैं। जो बहुत प्राचीन हैं वह पैठणके शातकर्णीके ___ गुफा नं. १०-यह सुरंग एकको ढकनेके लिये समय की हैं। यह सब गुफाये बौद्धौ की हैं। और दूसरेमें जानेके लिये रास्तेके तौर पर खुदी उनसे जो प्राचीन है वह हीन-यान बौद्ध पंथ हुई दिखाई देती है। वालों की हैं। जो बादकी हैं वह महायान पंथ ___ गुफा नं० १९- यह चैत्य अच्छी स्थितिमें है। वालोंकी हैं। पहले बनी हुई में चैत्य तथा डागोबा इसमें खुदाई का काम बहुत सा किया है, और की और बादकी में बुद्धकी मूर्तियाँ हैं। इन दोनों कुछ चित्रोके अवशेष अभी तक है। प्रकारकी गुफाओं में रंगीन चित्र हैं। खुरखुरी गुफा नं० २०-यह एक छोटा सा विहार है। दीवारों पर पहले ज़मीन (Ground ) तय्यार ! इसमें एक दालान और कुल ६ कोठरियाँ हैं। करने के लिये एक प्रकारका रंग लगया गया है। इसमें एक बुद्ध की मूर्ति तथा कुछ खुदाईका काम की। तदनन्तर चित्र बनाये हैं। हुई प्राकृतियाँ हैं। चित्रोंके अवशेष भी मिलते हैं। हीनयान तथा महायान पंथकी गुफाओके भेद गुफा नं० २१-यह एक बिहार है। इसमें बिल्कुल स्पष्ट हैं। हीनयान पंथके भिक्षु एक दो बहुत सा खुदाई का काम किया हुआ है। इसमें साथी लेकर टूटी फूटी गुफामै एक कोनेमें पड़े बुद्धकी मूर्ति और कुछ कोठरियां है। छतमें भूमि ! रहते थे। उनका रहन सहन प्राचीन हिन्दूधर्मके की प्राकृति वगैरहके चित्र हैं। सन्यासियोके समान होता था। परन्तु महायान गुफा नं. २२-यह एक छोटा सा विहार है। पंथके भिक्षु भव्य और सुन्दर गुफाओमै रहकर इसमें शाक्य मुनिकी मूर्ति तथा विपष्यि, शिखि, सब प्रकारके सुखोंका उपभोग करते थे। हीनयान विश्वभू इत्यादि बुद्धोंके चित्र हैं और कुछ शब्द पंथके भिक्षु बुद्धके शरीर पर बने हुए डागोवाके भी लिखे हुए हैं। चिन्हकी पूजा किया करते थे किन्तु महापंथी बुद्ध, गुफा नं. २३- यह एक विहार है और इसमें बोधिसत्व तथा तारा श्रादिकी स्त्री-स्वरूप-शक्तियों का गर्भ-गृह अधूरा ही रह गया है। चित्रोंका कुछ की प्रचण्ड मूर्ति बनाकर पूजा करते थे। उनकी भी पता नहीं लगता। जामें विशेष प्राडम्बर था।