पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/९५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सामान्यत: इन गुफासोमे जो चित्र दिये गये है वे बुद-चरित्र तत्कालीन जातिके इतिहास्को प्रदर्शित करते है। बाद की बनी हुइ गुफाके एक चित्र मे इरान के राजा खुसरू के यहा से छाये हुए शिश्त मएदली से शपथि राज्य सभा मे मुलाकात करते हुए राजा पुलकेश दिख्लाये गये है। निम्हलिखित हश्यके वर्गनसे पता चलता है कि गुफाशिके चित्र कितने रधयगम तथा भावोदीपक है। ग्रत्यु शस्य पर एक राज्कुमारी पदी हुई है जिस्के नेत्र है, गर्दन सधकी हुइ है और सारे अचय्त्र पध गये है। एक दासी उसे आधार दिये हुए है और दुसरी उसका हाथ अप्ने हाथ मे लेकर बदी ही उत्सुक्ता से उसकी मा की तरफ देख रही थी। यह विश्वास होने के कारन राज्य कन्या का जीवन अब ही समान होने को है दूस्र्री खीके चहरे पर विशाद की गेह्ररी लाया पदी हुइ है। एक और दासी पीछे खदी होकर राज्कुमारी को हया कर रही है और बायी और दो पुरुश अतिदुखित मुद्रा से देख रहे थे। नीचे भूमिपर अन्य रिश्तेदार निराश स्थिथि मै बैथे हुए है:उन्मे से एक की तो मूह पर हाथ रख कर फूत कर रो रही थी। यह ह्रुदय भेदख हश्य च्ष सन्सार के इतिहास मे अन्योत्यम होने के कारक पाधात्य पदित भी इस्की सव अशेश्त स्वीकार करते है।