पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/९७

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अंजनाल ज्ञानकोश (अ)८४ अजमलखाँ of Inscriptions .J. B. B. R. A.S. VTI 55-7+. | कान्फ्रेन्स की थी, जिसमें देशभरके बड़े बड़े 12. Major (fill's Illustrations of Architecture चिकित्सक एकत्रित हुए थे। इस कार्य में इन्हें & Natural History in Western India 186+. पूरी सफलता मिली। इसके बाद इन्होंने दृढ़ 18. Mr. Burgess Rockcut 'emples of Ajint.lhan निश्चय कर लिया कि देहलीमें एक तिब्बी कालिज ___ Ind. Ant. II 269-274. खोला जावे जिसमें हिकमत और वैद्यक उत्तम 14. Griffith's acconut of the Pressues Ind. Ant..| I. 384; II 152: III 25, IV 253. गतिसे पढ़ाई जावे। इसके लिये इन्होंने पूरा२ 15. Dr. Rajendra Lal Mitru's Foreigners in प्रयत्न किया और विलायत तक जाकर पर्ण "Ajantha paintings J.A.S. Ben XLVIII 62. सफलता प्राप्त की। इन्होंने देशकी स्त्रियोकी 16. Mr. Forgussons Choroes IT in Ajantha | शोचनीय अवस्था देखकर उनके लिये भी अलग Paintings J. R.A. S. New sericsXI. अस्पताल खोले। इन्होंने और भी कई सभायें आम्बे गॅजेटियर-खानदेश, वुलडाना गॅजेटियर। और सोसाइटी इसी कामके लिये नियत की। . अजनाल-पंजाब प्रान्तके अमृतसर ज़िलेकी इनका हिकमतके विषयका ज्ञान विशेष उल्ले- एक तहसील उत्तर अंक्षांश ३१ ३७ से ३२३ तक | खनीय है। नाड़ी परीक्षाके लिये तो यह बहुत और पूर्व देशांतर ७४३० से ७४५६' तक । क्षेत्रफल ही प्रसिद्ध थे। इनके विषयमें कहा जाता है कि ४१७ वर्गमील । केवल नाड़ी देखकर ही यह मनुष्यका रोग बता तहसीलके दक्षिणके प्रदेशोंमें 'बारी' दोआबेमे देते थे। कभी कभी तो नाड़ी देखकर ही मनुष्य नहरका पानी मिलता है। तहसीलकी जमीन कम | के चित्तकी गति तक समझ लेते थे। सूझबूझ उपजाऊ होनेके कारण खेती कम होती है। | भी इस विषयमै इनको विशेष प्रसंशनीय है। इस तहसीलमें ३३१ गाँव हैं जिनमें अजनाल रोगका निदान ( Diagnosis) भी बड़ा उत्तम मुख्य है। ज़मीनका कुल लगान तथा कर मिला करते थे। बहुतसे गेगी तो इन्होंने ऐसे अच्छे कर ३६१००० रुपये १६०३-४ ई० की आमदनी किये जो सारे संसारसे निगश हो चुके थे। इनमें थी। [इ० गॅ०] विशेषता यह थी कि इनका इलाज बड़ा सरल - अजमतगढ-संयुक्तप्रान्तके श्राज़मगढ़ जिले तथा सस्ता होता था। धीरे २ यह इतने विख्यात का एक गाँव । श्रोज़मगढ़की जीयनपुर तहसील हो गये थे कि इनके पचासा शागिर्द (शिष्य ) बैठे से घोसी जाने वाली पक्की सड़क पर यह गाँव हुए केवल नुसखे लिखा करते थे और इनको दम दो मील पर वसा हुआ है। यहाँ का देवमन्दिर माग्नेकी फुरसत नहीं होती थी। बहुधा चिकित्सा तालाब इत्यादि देखने योग्य है। १९१७ ई० से के लिये इन्हें कलकत्ता बम्बई तथा बड़ी २ रिया- यहाँ एक अंग्रेजी स्कूल और एक पुस्तकालय भी सतो तकमें जाना पड़ता था। खुल गया है। यहाँ की सलोना भील दर्शनीय इतना कठोर परिश्रम करने पर भी यह बड़े है। जाड़े में बहुधा अंग्रेज लोग तलही चिड़ियों शान्त और धीर प्रकृतिके थे। दयालुता और (Water-fowls ) का शिकार खेलने श्राते हैं। उदारता इनमें बहुत थी। समाजके लिये भी यहाँ पर डाकखाना और शफाखाना भी है। इन्होंने कम कार्य नहीं किया। हर एककी सहायता अजमल खां -(जन्मकाल १८६५ ई०) यह | के लिये सदा तत्पर रहते थे। इनका मान सर्वत्र भारतके बहुत बड़े यूनानी चिकित्सक (हकीम) | था। विलायत तक ये विख्यात् थे और इनकी हो गये हैं। अपने कोलमें इनके टक्कर का दूसरा इज्जतकी जाती थी। यह कई भापाके विद्वान् हकीम नहीं था । यह खानदानी हकीम थे । इनके थे, अरवी और फारसीके तो विशेष धुरन्धर थे। पिता हकीम महमूदखाँ साहब भी अपने समयके थोड़ी बहुत कवितासे भी शौक था और इन्होंने विख्यात हकीम थे। इनकासम्बन्ध मुगल वंशके प्रारम्भिक जीवनमें बहुत सी कविता स्वयं भी अन्तिम वादशाहके राजघरानेसे था और देहली लिखी हैं। बहुत सी तो इसमें उच्चकोटी की ही इनका भी निवास स्थान था। भी है। यूनानी चिकित्साका धीरे २ ह्रास होता जा जीवनके अन्तिम दिवसमें देशकी शोचनीय रहा था। यह देखकर इन्हें बड़ा दुख हुआ और दशा देखकर ये राजनीति क्षेत्रमै कृद पड़े थे और इसको पुनर्जीवित करने के लिये आजीवन प्रयत्न । १६२४ से तो इन्होंने देश-सेवामै बहुत कुछ भाग करते रहे। इन्होंने कठिन परिश्रम करके १६१० | भी लिया था। असहयोग आन्दोलन ( Non- ई० में एक आल इण्डिया वैद्यक एण्ड यूनानी Cooperativn) मैं अपने अपूर्व त्याग तथा देश