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हिन्दू धर्म की सार्वभौमिकता
 

आप ऐसा सार्वभौमिक उदार धर्म सामने रखिये और सभी राष्ट्र आपके अनुयायी बन जायेंगे। सम्राट अशोक की धर्मसभा केवल बौद्धधर्मियों की ही थी। अकबर बादशाह की धर्म-परिषद आधिक उपयुक्त होती हुई भी, केवल दरबार की शोभा की ही वस्तु थी। पर 'प्रत्येक धर्म में ईश्वर है, इस बात की घोषणा दुनिया के सभी प्रदेशों में कर देना मानो अमेरिका की ही भाग्य में छोड़ा गया था।

वही परमेश्वर जो हिन्दुओं का ब्रह्म, पारसियों का अहुरा- मज़दा, बौद्धों का बुद्ध, मुसलमानों का अल्ला, यहूदियों का जिहोवा और ईसाइयों का स्वर्गस्थ परमपिता है, आपको अपने उदार उद्देश्य को कार्यान्वित करने की शक्ति प्रदान करे। तारा पूर्व-गगन में उदित हुआ, धीरे धीरे पाश्चम की ओर-कभी धुंधला और कभी दैदिप्य- मान-यात्रा करते करते उसने जगत् की परिक्रमा कर डाली और अब वह पुनः पूर्व क्षितिज में हजार गुनी अधिक उज्ज्वलता के साथ उदित हो रहा है। ऐ स्वाधीनता की मातृभूमि कोलम्बिया !* तू धन्य है! तूने अपने पड़ोसियों के रक्त से अपना हाथ कभी कलंकित नहीं किया, सूने अपने प्रतिवेशियों का सर्वस्व अपहरण कर सहज में ही धनी और सम्पन्न होने की चेष्टा नहीं की। अतएव तू ही सभ्य जातियों में अग्रसर होकर शान्तिपताका उड़ाने की अधिकारिणी है।

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  • अमेरिका का दूसरा नाम। कोलम्बस ने इसका आविष्कार किया था इसलिये इसका नाम कोलम्बिया पड़ा।
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