शक्ति पर जो विश्वास नहीं करता, वह अपने को हिन्दू नहीं कह सकता। यदि ऐसी बात है, तो इस तत्व को भी समग्र भारतवर्ष में फैलाने की चेष्टा करनी होगी। तुम इस ईश्वर का चाहे जिस भाव से प्रचार करो, तुममें हममें कोई वास्तविक अन्तर नहीं है-हम इसके लिये तुम्हारे साथ झगड़ा नहीं करेंगे; पर तुम्हें, चहे जैसे हो,इस ई घर का ही प्रचार करना होगा-बस, हम इतना ही चाहते हैं। ईश्वर-सम्बन्धी विभिन्न धारणाओं में, सम्भव है, कोई धारणा अधिक श्रेष्ठ हो; पर याद रखना, उनमें कोई भी धारणा बुरी नहीं है।उन धारणाओं में कोई उत्कृष्ट, कोई उत्कृष्टतर और कोई उत्कृष्टतम हो सकती है; पर हमारी धार्मिक तस्व-सम्बन्ध -शब्दावली में 'बुग' नाम का कोई शब्द ही नहीं है। अतएव, ईश्वर के नाम का चाहे जो कोई जिस भाव से प्रचार करे, वह निश्चय ही ईश्वर के आशीर्वाद का भाजन होगा। उनके नाम का जितना ही अधिक प्रचार होगा,देश का उतना ही कल्याण भी होगा। हमारे बच्चे बचपन से ही इस भाव को हृदय में धारण करना सीखें-अत्यन्त दरिद्र और नीचा-तिनीच मनुष्य के घर से लेकर बड़े-से बड़े धनी-मानी और उच्चतम मनुष्य के घर में भी ईश्वर के शुभ नाम का प्रवेश हो।
प्यारे भाइयो! अब एक तीसरा ताव मैं आप लोगों के सामने प्रकट करना चाहता हूँ। हम लोग औरों की तरह यह विश्वास नहीं करते कि केवल कई हजार वर्ष पहले इस जगत् की सृष्टि हुई है और एक दिन इसका एकदम ध्वंस हो जायगा । साथ ही, हम यह