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हिन्दू धर्म और उसका सामान्य आधार
 

वाले के दुःख में दुःख अनुभव करोगे–अपनी सन्तान पर विपत्ति आने से जैसे तुम व्याकुल हो उठते हो, वैसे ही उसके लिये भी व्याकुल होगे। केवल तभी तुम अपने को सच्चा हिन्दू बता सकोगे, जब तुम उनके सारे अत्याचारों को सहन करने के लिये तैयार हो जाओगे। इसके सर्वोच्च और ज्वलन्त दृष्टान्त हैं–तुम्हारे ही गुरु गोविंद सिंह, जिनकी चर्चा मैं आरम्भ में ही कर चुका हूँ। इन महात्मा ने देश के शत्रुओं के विरुद्ध लोहा लिया, हिन्दू धर्म की रक्षा के लिये अपने कलेजे का खून बहाया, अपने पुत्रों को अपनी आँखों के सामने बलिदान होते देखा—पर, जिनके लिये उन्होंने अपना और अपने प्राणों से बढ़कर प्यारे पुत्रों का खून बहाया, उन्हीं लोगों ने, इनको सहायता करना तो दूर रहा, उलटे इन्हें त्याग दिया!– यहाँ तक कि देश से निकाल दिया! अन्त में मर्मान्तक चोट खाकर यह शेर धीरे से अपने जन्मस्थान को छोड़ दक्षिण भारत में जाकर वहीं मृत्यु की राह देखने लगा; परन्तु अपने जीवन के अन्तिम मुहूर्त तक इन्होंने अपने उन कृतघ्न देशवासियों के प्रति कभी अभिशाप का एक शब्द भी मुँह से नहीं निकाला। मेरी बात पर गौर करो–सुनो। यदि तुम देश का हित-साधन करना चाहते हो, तो समझ लो कि प्रत्येक मनुष्य को गुरु गोविन्दसिंह बनना पड़ेगा। आप को अपने देशवासियों में भले ही हजारों दोष दिखाई दें, पर आप उनके हिन्दू रक्त का ध्यान रखिये। तुम्हें पहले अपने इन स्वजातीय नर-रूप देवताओं की पूजा करनी होगी, भले ही वे तुम्हारी बुराई के लिये लाख

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