पृष्ठ:Kabir Granthavali.pdf/२९५

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(८) निदर्शना--गनिका--कहिए

 विशेष-व्राह्मोपचार एवं मतवाद का विरोध अभिव्यक्त है।तुलना करे-
        (१) श्रुति सम्मत हरि भक्ति-पथ सन्जुत विरति विवेक।
            ते परिह्र्रहि विमोह बस कल्पोहि पन्थ अनेक।
                                                                     (गोस्वामी तुलसीदास)
        (२)गुरु की महिमा का प्रतिपादन है।
        (३)सोइ सोइ जागे।तुलना कीजिए-
           रात गंवाइ सोइ कर दिवस गंवाओ खाय।
           हीरा जनम अमोल का कौडो बदले जाय।        (कबीरदास)
           मोहि मुढ मन बहुत बिगोयो।
          x    x    x    x       
         दासत हो गई वीति निसा सब,कबहु न नाथ नीद भरि सोयो।
                                                                     (गोस्वामी तुलसीदास)
      (४)खोजत जोणी । तुलना कीजिए-
       सन्मुख होहि जीव मोहि जबही । जन्म कोटि अघ नासहि तबही।
                                                                    (गोस्वमी तुलसीदास)
                                          
              (१३९)
          भूली मालिनी,
          हे गोव्यद जागतौ जगदेव,तू करै किसकी सेब॥टेक॥
          भूली मालनि पाती तोडै,पाती पाती जीब    ।
          जो मूरति कौ पाती तोडै,सो मुरति नर जीव ॥
          टांचणहारे टान्चिया,दै छाती ऊपरि पाव   । 
          जे तू मूरति सकल है,तौ घड़णहारे कौ खाव ॥
          लाडू लावण लापसी,पूजा चढै अपार        ।
          पूजि पूजारा ले गया,दे मुरति कै मुहि छार  ॥
          पाती ब्रह्मा पुहपे बिष्णु,फुल फल महादेव   ।
          तीनि देवी एक मूरति,करे किसकी सेब     ॥
          एक ना भूला दोइ न भूला,भूला सब संसारा  ॥
          एक न भूला दास कबीर जाके रांम अघारा   ।