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और इस वर्ग के लिए कबीर ने जिस अभिव्यंजना माध्यम को चुना वह बढ़ा ही सहज है। कतिपय उलट वासियो को छोड़ कर उनका समस्त काव्य बहुत सरल और सहज है‌। शृंगार नश्वरता,विरह और संयोग जैसे विषयो को कबीर ने बड़ी सरलता के साथ सरल भाषा के माध्यम से जनता के समक्ष उपस्थित किया।

इस प्रकार उपर्युक्त विवेचन से सुस्पष्ट हो जाता है कि कबीर की कविता की भावभूमि मे जनकल्याणकारी और लोक रंजनकारी है।कबीर की कविता मे कला पक्ष नगण्य है जो कुछ मह्त्वपूर्ण है वह हैं कबीर की भाव भूमि,कबीर का भावपक्ष,कबीर का वण्य विषय अथवा कबीर का सदेश। और इसमे सन्देह है कि कबीर अपने भावभंग के साथ पाठक अथवा श्रोता को सफलतापूवंक बाहर ले जाते है। झांझ,मंजीरा अथवा एकतारे पर गाये जाते हुए कबीर के पद हमे आत्म-विभोर कर देते है और यही कवि की सफलता है। कवि का सौभाग्य है या कवि का गौरव है।