पृष्ठ:Kabir Granthavali.pdf/४४६

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प्रन्थावली]

                   (iv) रूपकातिशयोक्ति-विष।
                   (v)  पदमैत्री---भरम करम।
          विशेष--(1) कबीर ञानी भक्त के रूप मे प्रकट हे।
          (11) तजि करम विधि निषेद - कबीर शास्त्र विहित कम॔काण्ड के प्रति विरोध प्रकट करते हे।
          (111) पौराणिक आरकानो की परस्परा का प्रयोजग हे। यह्ँँ कबीर वैष्णव भक्तो की परस्परा मे दिखाई देते हे---
                      मे हरि पतित पावन सुनै।
                *              *              *
             ब्याध गानिका गज अजामिल साखि निगमन भने।
             और अदम अनेक तारे जात कापं गने।
             जानि नाम अजानि लीन्हें नरक जमपुर मने।
             दास तुलसी सरन आये, राखिये अपने।
                                        (गोस्वामी तुलसीदास)
           (1V) प्रयुत्क पोराणिक आख्यान इस प्रकार हे---
        अजामेल (अजामिल)--अजामिल एक व्राहाण था। वह बङा पापी था। उसके पुत्र का नाम 'नारायण' था। मृत्यु के समय उसने अपने पुत्र 'नारायण' को नाम लेकर पुकारा। 'नारायण' की पुकार सुनते ही भगवान के दून वहाँ आगए ओर यमदूतो से उसके छुडकर भगवान के घाम को ले गये। इस प्रकार भगवन्नाम स्मरण मात्र अजामिल का उध्दार हो गया।
           (ख) गज (गजेन्द्र या गजराज)-- हाथियो क एक अत्यन्त वलवान राजा था। उसे अपने वल का बडा घमणड था। एक बार जब वह नदी मे पानी पी रहा था, तब एक मगर ने उसका पैर पकड लिया। हायी ने पूरा जोर लगाया, परन्तु मगर ने उसका पैर नही छोडा। उलटे वह हाथी को जल के भीतर खीच ले गया। जब हाथी की सु ङ का ऊपरी भाग ही पानी के ऊपर रह गया, तब आते स्वर से उसने भगवान को पुकारा। उसकी पुकार सुन कर भगवान उसके रक्षाथ॔ भागे और उन्होने सुद्र्शन चत्र द्वारा मगर का वघ करके गजराज का उध्दार किया।
          (ग) गानिका--यह पिगला नाम की वेशया थी। एक बार अपने व्यवसाय से निराश होकर उसने भगवान के भजन का सकल्प कर लिया था ओर इसका उध्दार हो गया।
                      इसकी कथा एक अन्य प्रकार भी हे। यह वेश्या अपने तोते को राम-राम पढा रही थी। बस, इसी राम-नाम उचचारण से उसका उध्दार हो गया था---मुवा पढ़ावत गणिका तारी। तारी मीराबाई। इत्यादि।