पृष्ठ:Kabir Granthavali.pdf/५७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

(४६)

अधिक वरदान स्वरूप है। कबीर के प्रतीकों में प्रभावसाम्य के कारण सदृश भावना जाग्रत होती है। वे पाठकों के भावों और विचारों को भी प्रबुद्ध करने में सहायक है कबीर के प्रतीकों की ये विशेषताएँ काव्य रचना की क्षमता को प्रमाणित करती है।

काव्य के दो पक्ष होते हैं—भाव और विभाव। ये उभय अन्योन्याश्रित है। अप्रस्तुत योजना या विभाव पक्ष काव्य का अभिन्न अंग है काव्य में कलात्मकता एवं रमणीयता का संचार करने का समस्त श्रेय और दायित्व अप्रस्तुत योजना पर है। कवि के हेतु अप्रस्तुत योजना की शक्ति प्रकृति का बड़ा भारी वरदान है। सभी कवियों को यह प्रतिभा समान रूप से नहीं सम्प्राप्त होती है। उपमा के क्षेत्र में सभी कालीदास की प्रतिद्वंद्विता नहीं कर सकते हैं। इस प्रकार की प्रतिभा का मूल कारण है वासना और संस्कार। दण्डी का अभिमत है कि अद्भुत प्रतिभापूर्व वासनागुणानुबन्धी अर्थात् कवि की प्रतिभा में पूर्वं वासना का गुण विद्यमान रहता है। वारभट्ट ने प्रतिभा को ही काव्य की उत्पत्ति का कारण मानते हुए कहा है प्रतिभा कारणान्तस्य। हेमचन्द्र ने भी कहा है कि—

प्रतिभैवच कवीना काव्यकरण कारणम्।
व्युत्पत्यभ्यासी तस्या एवं संस्कारकारकौ न तु काव्य हेतु॥

कवि के व्यत्तित्व में अप्रत्यक्ष रूप से पूर्ववर्ती संस्कारों के रूप में अद्भुत काव्य-प्रतिभा विद्यमान रहती है। यह प्रतिभा कवियों में अनेक रूपों से पल्लवित होती है। अप्रस्तुत की सम्यक् एवं प्रभावशाली योजना नरक कार्य नहीं है। इसके लिए कवि में अनेक विशेषताओं का होना परमावश्यक है। यह आवश्यक है कि वह लोकशास्त्र के तत्वों सूक्ष्म ज्ञाता हो। कवि में जितनी अधिक सहृदयता तथा अन्तदृष्टि होगी, वह जितना ही अधिक अनुभवी होगा उतनी ही सुन्दर उसको अप्रस्तुत योजना होगी और वह अप्रस्तुत योजना हृदयग्राही तथा मार्मिक भी होगी। इस सब के लिए यह भी आवश्यक है कि कवि अपने हृदय में संवेदनशीलता को जाग्रत करे तथा जीवन एवं प्रकृति का सूक्ष्म पर्यालोचक बने। यहाँ पर यह आवश्यक होगा कि यद्यपि कबीर शास्त्र के ज्ञाता, काव्य शास्त्र के आचार्य और विद्वान नहीं थे। परन्तु दण्डी ने जिसे प्रतिभा तथा हेमचन्द्र ने जिसे संस्कार रूप में काव्य कौशल कहा है वह कबीर में प्रचुर रूप में विद्यमान था। इनके अतिरिक्त कबीर की दूरदर्शिता, रसज्ञता, सहृदयता तथा संवेदनशीलता ने उनके काव्य में अप्रत्यक्ष रूप से विभाग पक्ष को सुन्दर और प्रभावशाली बना दिया था। कबीर के लिए काव्य रचना एक साधन था साध्य नहीं। उनकी कविता में हृदय की सत्यता का चित्रण हुआ है। सत्य जीवन और अनुभव की कलात्मक अभिव्यंजना करने के