पृष्ठ:Kabir Granthavali.pdf/६९९

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ग्रन्थावली] [६६५ रहे तथा उनका मनन करते रहे, परन्तु उस परम तत्व के रहस्य को नही समझ सके। तुमने सन्ध्या गायत्री मन्त्र का जप किया और शस्त्रा विहित व्राह्मणोचित छओ कर्म (अध्ययन, अध्यपन। यजन, याजन, दान, और प्रतिग्रह) किए। परंतु यह परम तत्व इन्से भी परे बताया गया है। तुमने घर छोड कर वन मे जाकर कठोर तपस्या की, वहाँ तुम कदमूल-फल खोजकर खाते रहे। ब्रहाज्ञानी बनकार तुमने अनेक प्रकार से ध्यान लगाया, परन्तु इन समस्त वाहाचारो के फलस्वरूप तुम अपने कर्म बन्धन मे वृध्दि करते रहे और पाप पुण्य का हिसाब रखने वाले रामराज के खाते को बढाते रहे। तुमने रोजा रखे नमाज पढी तथा जोर से अजान की आवाज भी लगाकर लोगो को सुनाई। परन्तु इन सबका भी कोई विशेष फल नही निकला। ठीक ही है जब हृदय मे कपट भरा हुआ हो तो भगवान कैसे मिल सकते हैं? समस्त संसार के ऊपर काल का प्रभाव छाया हुआ है- जगत की सारी भूमि पर यमराज का पट्टा है। उसके अन्तर्गत ज्ञानी भी सम्मिलित हैं। कबीरदास कहते हैं कि जो राम के भक्त हैं, वे उन पट्टे से मुक्त हैं अर्थात उनकी व्यवस्था स्वय भगवान करते हैं, उनकी जमीन पर यमराज का इजारा नही है। अलंकार--(१)पुनरूक्ति प्रकाश--पढि पढि, (११) विशेषोक्ति--वेद पुरान न पावा, (१११) छेकानुप्रास--खनिखावा जिनि जानी। (४) पदमैत्री--गियानी घियानी, (५) वझोक्ति--मिलै क्यूँ जावा। (६) मानवीकरण--काल का मूर्तीकरण । (७)रूपक--काल । विशेष--(१) हिन्दुओ ओर मुसलमानो दोनो के वाहाचारो का विरोध है । (११) कर्मरहित होना ही मोक्ष है। (१११) छेकानुप्रास--खनिखावा जिनि जानी। (४)पदमैत्री--गियानी घियानी, (५) वझोक्ति--मिलै क्यूँ जावा। (६) मानवीकरण--काल का मूर्तीकरण। (७) रूपक--काल। विशेष--(१) हिन्दुओ और मुसलमानो दोनो के वाहाचारो का विरोध है। (२) कर्मरहित होना ही मोक्ष है। (३)सन्ध्या--प्रात , दोपहर, या शाम का वह समय जब दिन के भागो का मेल होता है तथा इन समयो पर किये जाने वाले धार्मिक कृत्य । (४) गायत्री--वैदिक स्तोत्र जिसमे आठ आठ वर्णों के तीन चरण होते हैं, इसका उपदेश ऊपनयन सस्कार के अवसर पर द्विज वालक को दिया जाता है। (५) कावा--मक्के की एक चौकोर इमारत जिसकी नीव इव्राहीम की रखी हुई मानी जाती है। (६) हज्ज--नियत काल पर कावे के दर्शन और प्रदक्षिणा करना--मक्के की यात्रा। (७)सव ज्ञानी--ब्रहा ज्ञानी छोड कर अन्य सब प्रकार के ज्ञानियो से तात्पर्य है-- वौध्दिक ज्ञानी, ज्ञान के अहकारी इत्यादी ।