पृष्ठ:Kabir Granthavali.pdf/७४८

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७४४] [कबीर

             मीरौ के प्रभु गिरिधर नागर, मिलि कै बिछुणि न जावै।
                                                      (मीराबाई)
             (७)सेज तब खाई- यह लौकिक बिम्ब-विधान दृष्टव्य है,शय्या माया रुप है।
             (८)या  राम राई-लौकिक  प्रेम के प्रतीकों के माध्यम से आध्यात्मिक विप्रलम्भ का वर्णन है।
                        (३०७)
           बालम आय हमारे ग्रेह रे,
                 तुम्ह बिन दुखिया देह रे॥टेक॥
           सब को कह तुम्हारी नारी,मोकौ इहै अदेह रे।
           एकमेक ह्बै सेज न सोबै तब लग कैसा नेह रे॥
           आन न भाव नीद न आवै,ग्रिह बन धरै न धीर रे।
           ज्यूं कामी कौ काम पियारा, ज्यूं प्यासे कू नीर रे।
           है कोई ऐसा परउपगारी, हरि सू कहै सुनाइ रे।
           ऐसे हाल कबीर भये है, बिन देखे जीव जाइ रे॥
          शब्दार्थ--अदेह=अदेंशा,दुख,अथवा संदेह। आन=अन्न।
          संदर्भ-कबीरदास प्रेमी भक्त की विरह व्य्था का वर्णन करते हैं।
          भावार्थ-जीवात्मा वियोगिनी पत्नी के रुप मे अपने पति भगवान को

बुलाती हुई कहती हे कि,हे प्राण वल्लभ,तुम हमारे घर आओ। तुम्हारे वियोग मे यह शरीर अत्यन्त दुखी है। सब लोग मुझे तुम्हारी पत्नी कहते है और आप मुझे दर्शन तक नहीं देते है। मुझे इसी बात का बहुत दुख है। अथवा मुझको इनके इस कथन पर विश्वास नहीं होता है, क्योकि जब तक मैं तुम्हारे साथ आलिंगन मे आबध्द होकर एक ही चारपाई पर न सोऊँ, तब तक कैसे विश्वास किया जाए कि हमारे बीच में दाम्पत्य-सम्बन्ध है अथवा आप मुझको पत्नी के रुप मे प्रेम करते है? न तो मुझे भोजन अच्छा लगता है और न मुझको नीद ही आती है। घर मे अथवा वन मे कही भी मेरे मन को धैर्य(चैन) धारण करते नही बनता है। जैसे कामी पुरुष वो अपनी वासना की तृप्ति का माध्यम प्रिय होता है तथा जल के प्रति प्यासे व्यक्ति की आसक्ति होती है,उसी प्रकार मुझे अपने प्रियतम के प्रेति अदम्य आसक्ति सताती है। क्या कोई ऐसा उपकारी है जो मेरी यह विरह-व्यथा भगवान को सुना दे। कबीर कहते है कि भगवान को साक्षात्कार के बिना मेरी दशा बहुत ही दयनीय हो गई है। पति-परमेश्वर के दर्शन के बिना मैं मरणासन्न हो रहा हूँ-- मेरे प्राण चाहे जब निकल सकते है।

         अलंकार--उदाहरण--ज्यू  नीर रे।
         विशेष-(१) प्रतीक विधान द्वारा आत्मा-परमात्मा के दाम्पत्य प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति है। बालम, गेह, नारी, सेज इत्यादि प्रतीक है।