पृष्ठ:Kabir Granthavali.pdf/८६२

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जगम जोग बिचारै जहू वां जीव सीव करि एकै ठऊवां ॥ चित चेतनि करि पूजा लावा,तेतौ जंगम नांउं कहावा ॥ जोगी भसम करै भौ भारी,सहज गहै बिचार बिचारी ॥ अनभं घट परचा सू बोलै,सो जोगी निहचल कदे न डोलं ॥ जैन जीव का करहु उबारा,कौण जीव का करहु उधारा ॥ कहां बसै चौरासी का देव,लहौ मुकति जे जांनौ भेव ॥ भगता तिरण मतै संसारी,तिरण तत ते लेहु बिचारी ॥ प्रीति जांनि रांम जे कहै,दास नांउ सो भगता लहै ॥ पंडित चारि बेद गुंण गावा,आदि अंति करि पूत कहावा ॥ उतपति परूलै कहौ bicaarii,संसा घालौ सबै निवारी ॥ अरधक उरधक ये sanyaasii,ते सब लागि रहै अबिनासी ॥ अजरावर कौ डिढ करि गहै,सो sanyaasii उन्मन रहै ॥ जिहि धर चाल रची ब्रह्मडा,पृथमीं मारि karo नव खडा ॥ अबिगत पुरिस की गति लखी न जाइ,दास कबीर अगह रहे ल्यो लाइ। शब्दार्थ-काया=शरीर मे स्थित चैतन्य। काजी=विचारक। मुसल्ला=वह दरी जिस पर जाती है। सरवत्तरि=सर्वत्र।सेष=शेख=मुसलमानो की एक श्रेष्ठ जाति।आनी उतरा=अपने आप को अवस्थित कर देता है। सीव=शिवत्व। अनभं=अभय। आदि-अत=ब्रह्मा। उरधक=नीच ऊँच। अजरावर अजर-अमर। उन्मन=samaadhi की अवस्था। अगह=अगम्य। सन्दर्भ-कबीरदास समस्त धर्मावलम्वियो को,विशेषकर मुसलमानो को,वाहरी पाखण्ड छोडकर परम तत्व मे प्रतिष्ठित hone का उपदेश देते है। भावाथ-काजी(विचारक)वही है जो शरीर मे स्थित caitany का चिन्तन करता है। वह iishvar के प्रेम रूपी तैल मे ज्ञान की battii जलाता है। जो प्राण रहते हुए परम-ज्योति को पहचान लेता है,वही सच्चा काजी है। musallaa फैलाकर नमाज पढने baiTh जाता है। परन्तु जो अपने शरीर के भीतर नमाज पढता hai अर्थात शरीर मे व्याप्त परम ज्योति की अराधना करता हे वही मुल्ला सर्वत्र गरजता है अर्थात ह्रुदय मे भगवान की aavaaj सुनकर निर्भय बना हुअ घूमता है। शेख वही है जो सहज अवस्था को प्राप्त करता है,चन्द्र और सूर्य (इडा, pingalaa)नाडियो को समन्वित करके सुपुम्ना मे समाहित करा देता है तथा प्राण वायु को रोक लेता है। वह adhovartii और ऊध्व्रवर्ती कमलो के बीच स्थित अनाहत (ह्रुदय)चक्र मे स्थित भगवान के समीप अपने आप को अवस्थित करता है।ऍमा ही शेख वास्तव मे तीनो लोको का प्रिय बनता है। जगम साधु वही है जो योग का चिन्तन करता है। उस स्थान पर ध्यान केन्द्रिन करता है जहाँ पर जीव और वह्मा का भेद समाप्त हो जाता है।जो चित्त को परम चेतन्य

मे अवस्थित करके पूजा करते है,वे ही वास्तव मे जंगम नाग के