पृष्ठ:Rajasthan Ki Rajat Boondein (Hindi).pdf/१०२

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जोधपुर में ग्रामीण विज्ञान समिति संस्था की ओर से नई खड़ीनों को बनाने का काम हुआ है। पता है: पो. जेलू गगाड़ी, जोधपुर।‌

ज्ञानी और सीधे-सादे ग्वाले के बीच का संवाद हमें जेठूजी से मिला है। पूरा संवाद इस प्रकार है:

ज्ञानी कहते हैं:

सूरज रो तो तप भलो, नदी रो तो जल भलो भाई रो तो बल भलो, गाय रो तो दूध भलो सूरज का तप अच्छा है, जल नदी का अच्छा है, भाई का बल भला है, और दूध गाय का अच्छा होता है। ये चारी बातें अच्छों ही होती हैं।

ग्वाला उत्तर देता है:

आंख रो तो तप भलो, कराख रो तो जल भलो बाहु रो तो बल भलो, मां रो तो दूध भलो चारों बातों भले भाई तप तो आंख का यानी अनुभव का काम आता है। पानी कराख यानी कंधे पर लटकती सुराही का, बल अपनी भूजा का ही काम आता है और दूध तो मां का ही अच्छा है भाई।

आधुनिक कृषि पंडित बताएंगे कि वर्षा के लिहाज से पूरा मरुस्थल गेहूं बोने लायक नहीं है। यह तो खड़ीन बनाने वालों का चमत्कार था केि यहां सैकड़ों वर्षों से गेहूं सैकड़ों मन कटता रहा। भूसे से लंबे समय तक सम्पन्न रखा था।

दईबंध यानी देवीबंध की जानकारी हमें श्री जेठूसिंह और श्री भगवानदास माहेश्वरी से मिली है। उस क्षेत्र में प्रकृति ने, देवी ने जितने भी ऐसे स्थल बनाए होंगे, उनमें से शायद ही कोई ऐसा होगा, जिसे समाज अपनी आंख के तप से देख न पाया हो। ये अमरपटी यहां चारों तरफ बिखरे है। पढ़-लिख गया समाज इन्हें पढ़ न पाए, यह बात अलग है।

भूण थारा बारे मास

इंद्र की एक घड़ी को अपने लिए बारह मास में बदलने वाले समाज की पहली झलक हमें बीकानेर के भीनासर गांव में गोचर भूमि में बने रामसागर नामक साठी कुएं से मिली। यहां हम श्री शुभू पटवा के सौजन्य से पहुंचे थे।

भूण और इंद्र का संबंध हमें श्री जेठूसिंह ने समझाया। न दिखने वाले पाताल पानी कों देखने वाले सीरवी और फिर इतने गहरे कुएं खोदने वाले कोणियों की जानकारी श्री दीनदयाल औझा से मिली।

बावड़ियों, पगबाव और झालरा पर इस अध्याय में अलग से कुछ नहीं दिया जा सका हैं। लेकिन कुओं की तरह इनकी भी एक टोड़ा
रायसिंह की
बावड़ी
भव्य परंपरा रही है। यों तो बावड़ी दिल्ली के कनाट प्लेस तक में मिल जाएगी, लेकिन देश के नकशे पर इनकी एक खास पट्टी रही है। इस पट्टी पर गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान आते हैं। १०१
राजस्थान की
रजत बूंदें
राजस्थान के इस वैभव का पहला दर्शन हमें चाकसू के श्री शरद जोशी ने कराया था। उन्हीं के