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कहते है... मरुभूमि के समाज को श्रीकृष्ण ने वरदान दिया केि यहां कभी जल का अकाल नहीं रहेगा । प्रसंग महाभारत युद्ध समाप्त होने का है।
लेकिन मरुभूमि का समाज इस वरदान को पाकर हाथ रखाकर नही बैठ गया। उसमे अपने को पानी के मामले में तरह-तरह से संगठित किया। गांव-गांव, शहर-शहर वर्षों की बूंदों की सहेजकर रखने के तरीके खोजे और जगह-जगह इनको बनाने का एक बहुत ही व्यावहारिक, व्यवस्थित और विशाल संगठन खड़ा किया । इतना विशाल कि पूरा समाज उसमें एक जी हो गया । इसका आकार इतना बड़ा कि वह सचमुच निराकार हो गया ।
मरुभूमि के समाज ने भगवान के वरदान को एक आदेश की तरह शिरोधार्य कर लिया।