पृष्ठ:Rajasthan Ki Rajat Boondein (Hindi).pdf/२०

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यानी सूरज अपना अर्थ बदलकर जल बनता है।

आउगाल से प्रारंभ होते हैं वर्षा आगमन के संकेत। मोहल्लों में बच्चे निकलेंगे चादर फैलाकर 'डेडरियो' खेलने और बड़े निकलेंगे 'चादरें' साफ करने। जहां-जहां से वर्षा का पानी जमा करना है, वहां के आंगन, छत और कुंडी के आगौर की सफाई की जाएगी। जेठ के दिन बीत चले हैं। आषाढ़ लगने वाला है। पर वर्षा में अभी देरी है। आषाढ़ शुक्ल की एकादशी से शुरू होगा वरसाली या चौमासा। यहां वर्षा कम होती हो, कम दिन गिरती हो, पर समाज ने तो उसकी आवभगत के लिए पूरे चार महीने रोक कर रखे हैं।

समाज का जो मन कम आने वाले बादलों का इतने अधिक नामों से स्मरण करता हो, वह उनकी रजत बूंदों को कितने रूपों में देखता होगा, उन्हें कितने नामों से पुकारता होगा? यहां भी नामों की झड़ी लगी मिलेगी।

बूंद का पहला नाम तो हरि ही है। फिर मेघपुहुप है। वृष्टि और उससे बोली में